मध्य प्रदेश में अवैध रेत खनन को लेकर कांग्रेस के भीतर मचे घमासान की आंच अब राज्य की पुलिस पर आने लगी है. अवैध खनन का कारोबार पुलिस के संरक्षण में चलने की बात सामने आई है. इस संबंध में एक पुलिस अधिकारी पर न सिर्फ गाज गिरी है, बल्कि अवैध खनन और परिवहन में शामिल पुलिसकर्मियों और अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश भी जारी किए गए हैं. पुलिस पर रेत माफियाओं को संरक्षण देने के आरोपों के बीच जबलपुर के एक पुलिस अधिकारी का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह खनन माफिया से सौदेबाजी कर रहा है. इस मामले के तूल पकड़ने पर पुलिस महानिदेशक वी.पी. सिंह ने अनुविभागीय अधिकारी, पुलिस (एसडीओ,पी) एस.एन. पाठक को पाटन से हटाकर पुलिस मुख्यालय संलग्न कर दिया. साथ ही उन्होंने पुलिस की छवि पर असर आने को लेकर चिंता जताई है.
यह भी पढ़ेंः जबलपुर में सीबीआई ने EPFO अधिकारी को रिश्वत लेते किया गिरफ्तार, पकड़ने के लिए ऐसे बिछाया था जाल
दूसरी ओर चंबल क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) डी.पी. गुप्ता ने भिंड के पुलिस अधीक्षक को अवैध खनन और परिवहन रोकने के लिए चौकस इंतजाम करने के निर्देश दिए. डी.पी. गुप्ता की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है, 'जिले में रेत व गिट्टी का अवैध खनन और परिवहन होता रहा है, मगर पुलिस की ओर से संतोषजनक कार्रवाई नहीं की जाती है. अवैध कारोबार को रोकने कुछ खास स्थानों पर पुलिस बल तैनात किया जाए, अवैध कारोबार करने वालों पर कार्रवाई की जाए. कोई पुलिसकर्मी या अधिकारी इसमें संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. साथ ही चेकिंग पॉइंट पर की जाने वाली कार्रवाई की वीडियोग्राफी की जाए.'
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में नदियों से अवैध रेत खनन एक प्रमुख मुद्दा था. इस कारोबार में भाजपा नेताओं और उनके परिजनों के संलिप्त होने के आरोप लगे थे. लेकिन सत्ता बदलने के आठ माह बाद भी रेत खनन और परिवहन का अवैध कारोबार जारी है. इस कारोबार में अब कांग्रेस के लोगों के ही संलिप्त होने के आरोप लग रहे हैं. कई नेता इस कारोबार को बढ़ावा देने का आरोप पुलिस पर लगा रहे हैं.
यह भी पढ़ेंः बच्चों के स्वास्थ्य से हो रहे खिलवाड़ का खुलासा, गंदे पानी में खाने की थालियां धुलाई
राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने स्वीकार किया है कि उनके प्रभार वाले जिले दतिया और गृह जनपद भिंड में चल रहे अवैध खनन को रोकने में सरकार नाकाम रही है. इतना ही नहीं सहकारिता मंत्री ने इन दोनों जिलों में अवैध खनन में पुलिसकर्मियों से लेकर पुलिस महानिरीक्षक तक के शामिल होने के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि यहां पुलिस वाले अपना काम छोड़कर रेत की खदान चलाने में लगे हैं. थाना प्रभारी 50 से 60 लाख रुपये तक वसूल रहे हैं.
मंत्री के इस बयान पर कांग्रेस की प्रदेश इकाई के सचिव और वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी सुनील तिवारी ने कहा, 'आखिर मंत्री बताएं कि इन दोनों जिलों में थानेदारों व अन्य अफसरों की नियुक्ति किसकी सिफारिश पर हुई है. एक मंत्री का गृह जनपद है और दूसरा प्रभार वाला. दोनों ही जिलों में सारी पदस्थापनाएं तो मंत्री की ही सिफारिश पर हुई है. खनन में कौन लोग शामिल हैं, उसे क्षेत्र के सारे लोग जानते हैं. अगर मंत्री खनन रोकने में अपने को असमर्थ पाते हैं तो पद से इस्तीफा दे दें.'
यह भी पढ़ेंः मध्य प्रदेश में आज से 313 बाल शिक्षा केंद्रों की शुरुआत, मिलेंगी नर्सरी स्कूलों जैसी शिक्षा और सुविधा
अवैध रेत खनन के सवाल पर खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने बुधवार को कहा, 'राज्य सरकार अवैध खनन को रोकने की हर संभव कोशिश कर रही है. इस पर रोक भी लगी है, कई स्थानों पर वाहन जब्त किए गए हैं. इसे रोकने के लिए पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी, विधायक, प्रभारी मंत्री की जिम्मेदारी तय की गई है. बीते 15 सालों से अवैध खनन का कारोबार चला आ रहा था, जिस पर वर्तमान सरकार ने रोक लगाई है. अवैध खनन को पूरी तरह रोकने के लिए राज्य में नई खनन नीति भी आ रही है.'
कांग्रेस नेताओं में रेत खनन को लेकर चल रहे घमासान और पुलिस पर लगाए जा रहे आरोपों पर भाजपा ने चुटकी ली है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने कहा, 'खनन को लेकर कांग्रेस नेताओं और मंत्रियों में प्रतिद्वंद्विता चल रही है. मंत्रियों की मन:स्थिति इस समय खनन माफिया की स्थिति में पहुंच गई है. उनके भीतर चल रहे अंतर्द्वद्व के चलते यह सब बाहर निकलकर आया है. इससे साफ है कि कमलनाथ सरकार खनन माफिया पर रोक नहीं लगा पा रही है.' ज्ञात हो कि राज्य में नर्मदा नदी, केन नदी, बेतवा, काली सिंध सहित अनेक नदियों में अवैध खनन हो रहा है, तो पहाड़ों को तोड़ने का दौर जारी है. यह सिलसिला वर्षो से चला आ रहा है.
यह वीडियो देखेंः