मध्य प्रदेश की सियासत में आगामी समय में होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव में सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम एंट्री कर सकती है. पार्टी ने इन चुनावों के लिए मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में सर्वे कराने की रणनीति बनाई है. राज्य में जल्दी ही नगरीय निकाय के चुनाव हो सकते हैं, संभावना इस बात की जताई जा रही है कि फरवरी में चुनाव होना लगभग तय है. ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य निर्वाचन आयोग तमाम तैयारियां पूरी कर चुका है और उसने मतदान का समय भी घोषित कर दिया है और ईवीएम से मतदान होने की बात कही जा रही है.
राज्य के नगरीय निकाय के चुनाव में एआईएमआईएम भी ताल ठोकने जा रही है. पार्टी की प्रदेश इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. नईम अंसारी भी यह स्वीकार कर चुके हैं कि स्थानीय निकाय चुनाव के मद्देनजर पार्टी की स्थिति की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं, साथ ही इसके लिए सर्वे कराया जाने वाला है. सूत्रों का कहना है कि एआईएमआईएम की नजर खासकर उन इलाकों पर है जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या बड़ी तादाद में है. इंदौर, भोपाल, उज्जैन, खंडवा, सागर, बुरहानपुर, खरगोन, रतलाम, जावरा, जबलपुर, बालाघाट और मंदसौर पर खास तौर पर ओवैसी की नजर है.
राज्य में अब तक बड़े हिस्से में सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच होता रहा है. कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां बहुजन समाज पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बना देती है. बसपा के मैदान में उतरने से नुकसान कांग्रेस को होता है. जानकारों का मानना है कि अगर ओवैसी की पार्टी भी नगरीय निकाय के चुनाव लड़ती है तो उसका नुकसान कांग्रेस को ही होगा.
ओवैसी ने बीते कुछ सालों में हैदराबाद के बाहर पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कोशिश की है. उनकी पार्टी ने बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव में 20 उम्मीदवार मैदान में उतारे और पांच स्थानों पर जीत दर्ज की. इसी तरह उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 के चुनाव में 38 उम्मीदवारों को विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में उतारा, मगर एक भी नहीं जीता. वहीं ग्रेटर हैदरबाद नगर निगम के चुनाव में उनके 44 उम्मीदवार जीते. ओवैसी अब उत्तर भारत की तरफ भी अपनी पार्टी का विस्तार करने में लगे हैं, उसी क्रम में वह मध्य प्रदेश की सियासत में एंट्री करना चाह रहे हैं.
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