मध्य प्रदेश के सरदार सरोवर बांध प्रभावितों की समस्याओं के निदान के लिए संवाद का दौर शुरू हो गया है. राज्य सरकार और बांध प्रभावितों की लड़ाई लड़ने वालों के बीच चर्चा के बाद समाधान निकालने के प्रयास जारी हैं. राज्य सरकार के प्रतिनिधियों और आंदोलनकारियों के बीच प्रभावित परिवारों की मौजूदगी में इंदौर के एनवीडीए भवन में सोमवार को लगभग आठ घंटे से ज्यादा चर्चा चली थी. इस मौके पर नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर ने गुजरात सरकार पर खुलकर आरोप लगाए और कहा कि गुजरात सरकार सरदार सरोवर बांध को पूरी तरह भरना चाहती है, जबकि 192 गांव एक नगर के लोग डूब प्रभावित क्षेत्र में हैं.
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मेधा ने गुजरात सरकार और केंद्र सरकार पर हठधर्मिता का आरेाप लगाया कि सरदार सरोवर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने से अति उपजाऊ भूमि के साथ संस्कृति प्रकृति और धरोहर की आहूति दी जा रही है. मध्य प्रदेश सरकार इस मामले पर संवाद कर रही है, इससे उम्मीद है कि कोई रास्ता निकलेगा.
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वहीं दूसरी ओर इस मौके पर राज्य सरकार के नर्मदा घाटी विभाग के मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल ने आरोप लगाया कि "गुजरात सरकार और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण मिलकर ऐसा काम कर रहे हैं, जिससे मध्य प्रदेश के लोगों को परेशानी हो रही है. गुजरात पानी नही छोड़ रहा है, जिससे राज्य के कई गांव टापू में बदल गए हैं. पुनर्वास का खर्च गुजरात को देना है, राज्य सरकार ने उनसे 1857 करोड़ रुपये मांगे हैं, मगर हाल में 69 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं."
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ज्ञात हो कि गुजरात सरकार द्वारा सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने के बाद जलस्तर को 138 मीटर से ऊपर ले जाने की चल रही कोशिशों से 192 गांव और एक नगर के हजारों परिवार संकट से घिरते जा रहे हैं. 100 गांव तो ऐसे हैं, जहां बांध का बैक वाटर भर रहा है और उन गांवों का अन्य हिस्सों से संपर्क ही टूट हुआ है. इसके खिलाफ नर्मदा सत्याग्रह भी किया जा चुका है.
Source : आईएएनएस