मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में आने वाले वक्त में 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासत काफी गर्म है. चुनाव से इससे पहले राज्य में दल-बदल का दौर भी चल पड़ा है. पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू के बाद पूर्व मंत्री बालेंदु शुक्ल ने बीजेपी का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया है. कभी सिंधिया परिवार के करीबी रहे पूर्व मंत्री बालेंदु शुक्ल ने आज कांग्रेस की सदस्यता ली. राजधानी के प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में शुक्रवार को बालेंदु शुक्ल ने पूर्व मुख्यमंत्री व मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. कमल नाथ ने 74 वर्षीय शुक्ल को सदस्यता रसीद सौंपी.
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शुक्ल सिंधिया राजघराने के करीबियों में गिने जाते रहे हैं. प्रदेश की सियासत में शुक्ल को माधवराव सिंधिया का प्रतिनिधि माना जाता था. माधवराव के निधन के बाद शुक्ल की सिंधिया परिवार से दूरियां बढ़ीं और उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, मगर हार गए. इसके बाद शुक्ल भाजपा में चले गए थे. पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने के बाद शुक्ल ने अब भाजपा छोड़कर कांग्रेस का 'हाथ' थाम लिया है.
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उधर, बालेंदु शुक्ल के कांग्रेस में जाने पर भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सिंधिया और बालेंदु के बीच की रिश्तों से बोलने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि ये बालेंदु और सिंधिया के बीच का व्यक्तिगत विषय है मैं कुछ नहीं कहूंगां. हालांकि कैलाश विजयवर्गीय ने दावा कि हम 24 की 24 सीट उपचुनाव में जीत रहे हैं. कांग्रेस सरकार ने जनता को धोखा दिया है. विशेष कर किसान कांग्रेस को सबक सिखाना चाहते है. भाजपा सभी सीटें जीत रही है.
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बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने कहा है कि बालेंदु शुक्ला ने बीजेपी की विचारधारा से नहीं बल्कि व्यक्तिगत कारणों से पार्टी छोड़ी है. उन्होंने कहा कि बालेंदु अगर मुझसे सलाह लेते तो शायद पार्टी नहीं छोड़ते, लेकिन उनके जाने से भी चुनाव में बीजेपी को फर्क नहीं पड़ेगा. इसके अलावा कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए तुलसी सिलावट ने कहा कि वो क्यों गए, उनसे पूछिये मुझे नहीं पता.
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