पापा आपकी जो इच्छा थी वो मैं बनकर दिखाऊंगी...कोरोना में मां-बाप को खोया और अब टॉपर बनी वनिशा

आपका जाना मेरे लिए किसी त्रासदी से कम नहीं, लेकिन मैं तुम्हारे बिना एक मजबूत लड़की बनूंगी...सिर पर टूटे दुखों के पहाड़ और रुंधे हुए गले के साथ ये पंक्तियां भोपाल की वनिशा पाठक ने उस समय खिली थी, जब कोरोना महामारी के बीच छोटी सी उम्र में ही उसने मां-ब

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Mohit Sharma
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vanisha pathak( Photo Credit : google)

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आपका जाना मेरे लिए किसी त्रासदी से कम नहीं, लेकिन मैं तुम्हारे बिना एक मजबूत लड़की बनूंगी...सिर पर टूटे दुखों के पहाड़ और रुंधे हुए गले के साथ ये पंक्तियां भोपाल की वनिशा पाठक ने उस समय खिली थी, जब कोरोना महामारी के बीच छोटी सी उम्र में ही उसने मां-बाप को खो दिया था. लेकिन किसी को क्या मालूम था कि आने वाले समय में वही वनिशा पाठक देश में सितारा बनकर चमेगी और अपने दिवंग माता-पिता को प्राउड फील कराएगी. दरअसल, हाल ही में आए सीबीएसई 10वीं के परिणामों में वनिशा ने 99.8 प्रतिशत अंक लाकर मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश का नाम रोशन किया है. वनिशा भोपाल की दो लड़कियों के साथ टॉपर बनीं हैं. 

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दरअसल, कोरोना वायरस की वजह से माता और पिता को खोने वाली 16 साल की वनिशा पाठक ने सीबीएसई के 10वीं के रिजल्‍ट में 99.8 फीसदी अंक हासिल किए हैं. इतना ही नही इस दौरान उसने अपनी पढ़ाई पर फोकस करते हुए छोटे भाई की भी देखभाल भी की.  वनिशा का कहना है कि माता-पिता की कोरोना से हुई मौत का समय उसके लिए बहुत मुश्किलों भरा था. लेकिन उसके सामने चुनौतियां कई थी ,और अपने छोटे भाई की देखरेख भी थी. ऐसे में उसने अपने परिवार के सपोर्ट के चलते जहां अपनी पढ़ाई पर फोकस किया. तो वही अब वनिशा अपने मृत माता पिता के सपने को पूरा करने की तमन्ना दिल में रखे हुए अब आगे की तैयारियां भी कर रही है. सीबीएसई 10th क्लास में 99.8 अंकल आने वनिशा पाठक ने बताई अपनी मुश्किलों के साथ हौसले की कहानी. वनिशा से बात की, हमारे संवाददाता जितेंद्र शर्मा ने.

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माता-पिता को खोने के बाद वनिशा ने अपने आप को टूटने नहीं दिया 16 साल की वनिशा भोपाल के कॉर्मेल कॉन्वेंट की छात्रा है. जिस समय वनिशा के दोस्त परीक्षा की तैयारी में जुटे थे, उस समय उस पर दुखों का भारी पहाड़ टूट गया था. वनिशा के दर्द को इस बात के समझा जा सकता है कि उसने एक 8 दिनों के भीतर अपने मां-बाप दोनों को खो दिया. वनिशा ने बताया कि उस समय मुझे लगा कि मानों जीवन ही खत्म हो गया. चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा था. कुछ भी बाकि नहीं बचा था. लेकिन वह अपने 10 साल के भाई की लाइफ को भी बर्बाद नहीं होने देना चाहती थी. यही वजह है कि वह इतनी कम उम्र में अपने छोटे भाई की मां और बाप दोनों बन गई. आज जब वनिशा के जीवन में खुशी के पल आए हैं तो अपना गुजरा ही समय याद कर रो पड़ती हैं. वनिशा कहती हैं कि मेरे पिता की इच्छा मुझें आईआईटी में देखने की थी या फिर आईएएस अधिकारी बनाने की थी. मैं अब उनका सपना पूरा करुंगी.

Source : News Nation Bureau

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