मध्य प्रदेश में इन दिनों उन विधायकों पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की नजर है जो इन दिनों दुविधा का शिकार हैं. बीजेपी जहां ऐसे विधायकों से नया रास्ता खोजने की सलाह दे रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस तीन विधायकों का पाला बदल कराने का दावा कर रही है. राज्य में कांग्रेस की सरकार है जिसके पास पूर्ण बहुमत नहीं है. 230 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं. पूर्ण बहुमत के लिए 116 विधायकों की आवश्यकता है.
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कांग्रेस सरकार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो, समाजवादी पार्टी (सपा) के एक और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है. इस तरह कांग्रेस के पास कुल 121 विधायक हो जाते हैं. वहीं बीजेपी के पास 108 विधायक हैं. एक सीट खाली है, जहां आने वाले समय में उपचुनाव होना है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस में चल रहे घमासान पर बीजेपी की पैनी नजर है. क्योंकि उसकी गैर कांग्रेसी उन विधायकों पर ज्यादा नजर है जो बाहर से समर्थन दे रहे हैं और नाराज चल रहे हैं.
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बीजेपी के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने तो ऐसे विधायकों से नया रास्ता खोजने की अपील कर डाली है. जब उनसे विधायकों को बीजेपी में लेने का सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह निर्णय तो प्रदेश और राष्ट्रीय नेताओं को करना है. वहीं कांग्रेस की ओर से जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने दावा कर डाला है कि बीजेपी के तीन विधायक आगामी विधानसभा सत्र में कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे. पिछले सत्र में बीजेपी के दो विधायकों के टूटने का हवाला दिया गया. ज्ञात हो कि तब बीजेपी के दो विधायकों ने कांग्रेस के विधेयक का समर्थन किया था.
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