मध्य प्रदेश नगर निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में तकरार का दौर जारी है. वार्ड आरक्षण की तारीख बढ़ाने और अप्रत्यक्ष तरीके से चुनाव कराए जाने को लेकर बीजेपी ने प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं और हमला बोला है. वहीं कांग्रेस नियमानुसार कदम उठाने का हवाला दे रही है. राज्य में नगर निकाय वार्डो का आरक्षण 30 दिसंबर तक किया जाना था, मगर इसे अब बढ़ाकर 30 जनवरी, 2020 कर दिया गया है. इसके चलते नगर निकाय के चुनाव फरवरी से पहले होना संभव नहीं है. इतना ही नहीं भोपाल को दो नगर निगमों में बांटने का प्रस्ताव राज्यपाल के पास लंबित है.
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नगर निकाय चुनाव के लिए वार्डो के आरक्षण के लिए नगर विकास विभाग ने सभी कलेक्टर्स को निर्देश जारी कर कहा कि नियम-प्रक्रिया के तहत ही वार्ड परिसीमन किया जाए. अंतिम परिसीमन होने के बाद ही वार्डो के आरक्षण की कार्यवाही शुरू की जाए. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि कांग्रेस इसलिए अप्रत्यक्ष चुनाव के पक्ष में है, ताकि वह धनबल, बाहुबल और सरकार के दबाव के दम पर नगर निगमों में अपने महापौर बैठा सके. प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने इसीलिए कानून में परिवर्तन किया है, ताकि वे पार्षदों की खरीद-फरोख्त करके अपना महापौर बना सके.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता हफीज अब्बास का कहना है, 'कांग्रेस हमेशा संविधान का सम्मान करती है और नियमों के मुताबिक ही फैसले लेती है. बीजेपी अपनी सुविधा के अनुसार कानून की व्याख्या करती है. जहां बीजेपी की सरकारें हैं, वहां अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होते हैं तो कोई बात नहीं और अगर कांग्रेस शासित राज्यों में यह प्रक्रिया अपनाई जाती है तो सवाल उठाते हैं. बीजेपी पार्षदों की निष्ठा पर सवाल उठाकर और खरीद-फरोख्त की बात करके आम मतदाता का अनादर कर रही है.'
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उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में अप्रत्यक्ष प्रणाली से हुए नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस को बढ़त मिली है. इससे राज्य की कांग्रेस इकाई उत्साहित है, वहीं बीजेपी को इस बात की चिंता सता रही है कि कहीं छत्तीसगढ़ जैसे ही नतीजे मध्य प्रदेश में न आ जाएं. वर्तमान में राज्य के नगर निकायों पर बीजेपी का कब्जा है.
Source : IANS