कर्नाटक में कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार गिराने के बाद मध्य प्रदेश प्रदेश की बीजेपी कमलनाथ सरकार को आंखे तरेरने लगी थी, मगर बुधवार की रात होते-होते मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऐसा मास्टर स्ट्रोक मारा कि पूरी बीजेपी ही हिल गई है. कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की संयुक्त सरकार के गिरे अभी 24 घंटे भी पूरे नहीं हुए कि दूसरे दलों के सहयोग से मध्य प्रदेश में चल रही सरकार के भविष्य पर बीजेपी की ओर से सवाल उठाए जाने लगे थे, क्योंकि राज्य में विधायकों की संख्या के गणित को देखें तो एक बात साफ है कि बहुमत के आंकड़े से कांग्रेस विधायकों की संख्या दो कम है.
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राज्य के 230 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस के पास 114 विधायक ही है, बहुमत के आंकड़े के लिए उसे दो और विधायकों की जरूरत है, मगर उसे निर्दलीय चार, बसपा दो और सपा के एक विधायक का समर्थन हासिल है. इस तरह कांग्रेस को 121 विधायकों का समर्थन हासिल है, जो बहुमत से कहीं ज्यादा है. वहीं बीजेपी के पास 108 विधायक हैं, इस तरह उसे अभी सात विधायकों की दरकार है. कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिरी तो राज्य में भी बीजेपी के खेमे में हलचल तेज हो गई. बीजेपी की ओर से आए बयानों के बीच कमलनाथ ने साफ तौर पर चुनौती दे डाली कि बहुमत का परीक्षण करा ली, वे तैयार हैं. शाम होते तक मामला गर्म हो गया, जब दंड विधि संशोधन विधेयक पर चर्चा हो रही थी, तभी बसपा विधायक संजीव सिंह कुशवाहा ने मत विभाजन की मांग कर डाली. इसे विधानसभाध्यक्ष एनपी प्रजापित ने स्वीकार करते हुए मत विभाजन कर डाला. इसमें बीजेपी के दो विधायकों ने विधेयक का साथ दिया. इस तरह विधानसभा के अध्यक्ष के अलावा कांग्रेस को 122 विधायकों का समर्थन मिला और विधेयक पारित हो गया.
मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि बीजेपी पिछले छह माह से रोज कहती रही कि हमारी सरकार अल्पमत की सरकार है. आज जाने वाली है कल जाने वाली है, ऐसा वह रोज कहती थी. आज भी नेता प्रतिपक्ष ने कहा. इस पर हमने सोच लिया कि हम बहुमत सिद्ध कर देंगे ताकि दूध का दूध और पानी का पानी अलग हो जाए. आज हुआ मतदान एक विधेयक पर मतदान नहीं है यह बहुमत सिद्ध का मतदान है. वहीं
बीजेपी के वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि यह खेल कांग्रेस ने शुरु किया है, इसका अंत हम करेंगे.
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कर्नाटक के घटनाक्रम के बाद से ही राज्य में बयानबाजी का दौर जारी था और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस के विधायक ही कांग्रेस की सरकार गिराएंगे. कर्नाटक में भी ऐसा ही हुआ है. कांग्रेस के कई नेता खुले तौर पर बीजेपी पर खरीद फरोख्त का आरोप लगा चुके हैं. बुधवार को भी विधानसभा में कांग्रेस ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद फरोख्त करने का आरोप लगाया. वहीं दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने तो विधानसभा में कह दिया कि उनके दल को विधायकों की खरीद फरोख्त जैसे कार्यो पर विश्वास नहीं है, लेकिन ऊपर से नंबर एक और दो का आदेश हुआ तो राज्य में सरकार गिराने में एक दिन भी नहीं लगेगा.
मुख्यमंत्री कमलनाथ किसी भी समय बहुमत परीक्षण कराने की बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि विपक्ष चाहे तो वह कभी भी बहुमत का परीक्षण कर ले, हम आज ही इसके लिए तैयार हैं, यहां कोई विधायक बिकाउ नहीं है. कांग्रेस की सरकार पूरे पांच साल चलेगी और दम के साथ चलेगी. विकास का एक ऐसा नक्शा बनेगा जो हर वर्ग के लिए होगा.
राजनीति के जानकारों का मानना है कि राज्य विधानसभा में आज हुए घटनाक्रम ने एक बात साबित कर दी है कि बीजेपी की तुलना में कांग्रेस कहीं ज्यादा सतर्क और सजग है. मुख्यमंत्री कमलनाथ लगातार विधायकों के संपर्क में हैं, जहां तक विधेयक को समर्थन देने वाले दोनों विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल की बात है, कमलनाथ उनसे काफी समय से संपर्क में थे. मौके की तलाश थी, जो आज मिल गया. इसके चलते कांग्रेस का जो आत्मबल कर्नाटक के घटनाक्रम से थोड़ा टूटा था, उसे फिर बनाए रखने में इससे मदद मिलेगी. विधानसभा में विधेयक पारित कराने में बीजेपी के दो विधायकों की ओर से सरकार के समर्थन में की गई वोटिंग को कमलनाथ के मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है.
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