मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा बलों पर हुए आतंकी हमले में खुफिया चूक का आरोप लगाते हुए बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास कोई जवाब नहीं है, और अब भाजपा की रणनीति किसी तरह हिंदू-मुस्लिम का झगड़ा कराने की है. दिग्विजय ने अपने लोकसभा क्षेत्र भोपाल के प्रतिनिधियों व शक्ति एप के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, "पुलवामा में शहीद 44 जवानों के परिवार आज पूछ रहे हैं कि जब आतंकी हमले की खुफिया सूचना पहले से थी तो सरकार ने जवानों को हवाई जहाज से ले जाने की अनुमति क्यों नहीं दी? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उत्तर आज तक नहीं दिया. यह घटना इंटेलीजेंस फेल्योर का सबसे बड़ा प्रमाण है."
गौरतलब है कि कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को भोपाल से लोकसभा उम्मीदवार बनाया है. इस क्रम में उन्होंने बुधवार को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और उन्हें चुनावी टिप्स दिए. दिग्विजय ने कहा, "आठ फरवरी को आई.जी़ कश्मीर का सिग्नल था, उन्होंने मैसेज किया था कि सुरक्षा बलों के काफिले की सुरक्षा रखें, लेकिन लापरवाही की गई और 14 फरवरी को सीआरपीएफ जवानों पर आतंकी हमला हो गया. अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पत्रकार जबाव मांग रहे हैं. भाजपा के पास अब कहने को कुछ नहीं बचा. अब उनकी केवल एक ही रणनीति है कि किसी तरह हिन्दू और मुसलमानों में झगड़ा करा दें. आतंकवाद से यदि कोई लड़ा है तो कांग्रेस ही लड़ी है. भाजपा ने तो आतंकवाद से समझौता किया. यह सब जानते हैं कि संसद पर जब हमला हुआ और अजहर मसूद को जब छोड़ा गया था, तब किसकी सरकार थी?"
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सिंह ने कहा कि जिस तरह नरेन्द्र मोदी ने पिछले पांच सालों तक लगातार झूठ पर झूठ बोला है, उसे सभी जान चुके हैं, और अब मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनने वाले हैं. भोपाल से चुनाव लड़ाए जाने पर सिंह ने कहा, "भोपाल का नेतृत्व डॉ़ शंकर दयाल शर्मा जैसे महान व्यक्ति ने किया है. अब मुझे चुनाव लड़ने का मौका पार्टी ने दिया है. यह चुनाव दिग्विजय नहीं कांग्रेस लड़ रही है, चुनौती हमारे सामने है. भाजपा कहती है कि बहुत कमजोर उम्मीदवार भोपाल को दिया है, लेकिन भाजपा अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई है.
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दिग्विजय ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वाट्स एप ग्रुप बनाएं और भाजपा के झूठ का पर्दाफाश करें, तथा 'शक्ति' एप के माध्यम से सच्चाई जन-जन तक पहुंचाएं. सिंह ने भाजपा पर साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "1990 के बाद से देश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश होने लगी. जो गंगा-जमुनी संस्कृति थी, वह बाबरी मस्जिद ढहने के बाद खत्म हो गई. भोपाल में पहला दंगा 1992 में हुआ. देश विभाजन के समय 1947 में जब लोग भोपाल छोड़कर जा रहे थे, तब भोपाल नवाब ने सबको रोका था. भोपाल की संस्कृति और संस्कार अलग रहे हैं. भोपाल रियासत में गो-हत्या पर प्रतिबंध था. भोपाल में लाखों कार्यकर्ता हैं, वे सभी कांग्रेस के लिए काम करेंगे."
Source : IANS