मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस, दोनों ने विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं. भाजपा के दिग्गज नेताओं के दौरे भी शुरू हो गए हैं और संकेत मिलने लगे हैं कि पार्टी विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ने वाली है.
राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में आई थी. यह बात दीगर है कि कांग्रेस में बगावत के कारण डेढ़ साल बाद ही सत्ता भाजपा के हाथ में चली गई. भाजपा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी तरह की चूक नहीं करना चाहती, लिहाजा उसने तैयारियां अभी से तेज कर दी हैं. एक तरफ जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने में लगे हैं, तो संगठन के मुखिया विष्णु दत्त शर्मा संगठन की जमीनी मजबूती के लिए निरंतर सक्रिय हैं.
पिछले दिनों भाजपा के कद्दावर नेता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का मध्यप्रदेश का दौरा हुआ और उन्होंने ग्वालियर में अपने प्रवास के दौरान कहा, फिर से चुनाव आने वाले हैं गलती मत कर जाना, प्रधानमंत्री मोदी पर भरोसा करना और कमल पर बटन दबाना.
केंद्रीय गृहमंत्री शाह के इस बयान के सियासी तौर पर कई मायने निकाले जा रहे हैं. कांग्रेस चुटकी लेने से नहीं चूक रही और कहा जा रहा है कि भाजपा को विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के चेहरे को आगे लाना पड़ रहा है.
भाजपा की तैयारियों को इसी से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री के बीते डेढ़ माह में दो दौरे हो चुके हैं तो गृहमंत्री भी यहां आ चुके हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर गंभीर है और वह प्रधानमंत्री मोदी की जन हितैषी, गरीब हितैषी नेता की बन चुकी छवि को भुनाना चाहती है. यही कारण है कि पार्टी ने प्रधानमंत्री का चेहरा आगे लाना शुरू कर दिया है.
Source : IANS