मध्य प्रदेश विधानसभा में बुधवार को हुए घटनाक्रम को बीजेपी हाईकमान ने गंभीरता से लिया है. राज्य इकाई आने वाली चुनौतियों का मुकाबला करने को कमर कस रही है. एक तरफ बैठकों का दौर जारी है, तो वहीं उन विधायकों पर खास नजर रखी जा रही है. जिनके कांग्रेस के संपर्क में होने की आशंका है. विधानसभा में दंड विधि संशोधन विधेयक को लेकर कराए गए मत विभाजन में बीजेपी के दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल द्वारा कांग्रेस का साथ दिए जाने के बाद पार्टी में हलचल मच गई है, क्योंकि बीजेपी कांग्रेस के कमजोर होने का अंदाजा लगाए हुए थी. मगर कांग्रेस ने अचानक ऐसा दांव चल दिया, जिसकी बीजेपी के किसी नेता को भनक तक नहीं लगी.
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विधानसभा में बीजेपी में हुई सेंधमारी के बाद से हाईकमान से लेकर राज्य इकाई तक को हरकत में ला दिया है. पार्टी ने प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह को रातोरात भोपाल रवाना कर दिया तो दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े पदाधिकारियों की सक्रियता बढ़ गई है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की संघ के एक बड़े नेता के साथ बुधवार की देर रात का बैठक हुई तो दूसरी ओर पार्टी के वरिष्ठ विधायक नरोत्तम मिश्रा और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत के बीच लंबा संवाद चला.
पार्टी सूत्रों का कहना है कि एक तरफ कांग्रेस के विधेयक के समर्थन में मतदान करने वाले दोनों विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल से संवाद करने की कोशिश हो रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस ने दोनों विधायकों का अपने लोगों के बीच रखा हुआ है. इसके साथ ही बीजेपी उन विधायकों को भी नजर रखे हुए हैं जो कांग्रेस के संपर्क में हो सकते हैं. कांग्रेस से बीजेपी में आए और वर्तमान में विधायक संजय पाठक पर संगठन की खास नजर है. पाठक से संवाददाताओं ने चर्चा करते हुए कहा कि उनका घर बीजेपी है. यह बात सही है कि उनके पिता व वे कांग्रेस में रहे हैं. कांग्रेस सहित अन्य दलों के नेताओं से उनके संबंध हैं. वर्तमान में कोई भी विधायक बीजेपी में नाराज नहीं है.
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विधानसभा में दो विधायकों द्वारा विधेयक का समर्थन दिए जाने के बाद पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि बीजेपी के लिए अनुकूल समय है, कांग्रेस ने जल्दबाजी की है. जहां तक बीजेपी का सवाल है, किसी तरह की गुटबाजी नहीं है. कहीं कोई कठिनाई नहीं है, पूरी बीजेपी एक है. वहीं पूर्व मंत्री और विधायक भूपेंद्र सिंह ने कांग्रेस पर 'हॉर्स ट्रेडिंग' का आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी इसमें विश्वास नहीं रखती, कांग्रेस लगातार खरीद-फरोख्त की कोशिश में लगी है. मगर जो कुछ हो रहा है, वह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है.
बीजेपी के दो विधायक त्रिपाठी और कोल ने कमलनाथ सरकार के प्रति भरोसा जताते हुए कहा कि यह उनकी घर वापसी है. वे बीजेपी में प्रताड़ित किए जा रहे थे, उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही थी. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके क्षेत्र में विकास की कई घोषणाएं की थीं, मगर एक पर भी अमल नहीं हुआ. जनता के सामने उन्हें नीचा देखना पड़ रहा था, इसलिए उन्होंने कमलनाथ सरकार का साथ देने का मन बनाया. कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि त्रिपाठी और कोल लंबे समय से मुख्यमंत्री कमलनाथ के संपर्क में थे. पिछले दिनों कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के साथ त्रिपाठी की कमलनाथ से मुलाकात भी हुई थी. इस मुलाकात के दौरान तय हुआ था कि त्रिपाठी मौका आने पर सीधे तौर पर कांग्रेस का समर्थन करेंगे. यही बात कमलनाथ की कोल से भी हुई थी.
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बुधवार को नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सरकार को एक दिन में गिराने की चुनौती दी तो कमलनाथ ने सदन में मत विभाजन के जरिए अपना बहुमत साबित करने का मन बनाया और इसमें वह कामयाब रहे. वहीं, कांग्रेस ने बीजेपी के उन विधायकों से भी संपर्क बढ़ा दिया है जो पार्टी में नाराज चल रहे हैं. राजनीति के जानकारों के अनुसार, राज्य में कांग्रेस कभी गुटबाजी के लिए पहचानी जाती थी, मगर अब बीजेपी में यह रोग बढ़ा है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय अलग-अलग गुटों में बंटे नजर आते हैं. यही कारण रहा कि विधानसभा सत्र हो या सड़क पर बीजेपी लगातार कमजोर होती जा रही है.
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