मध्य प्रदेश में पिछले दिनों चल रहे माफिया अभियान पर फिलहाल ब्रेक लग गया है. नगरीय निकाय चुनावों के कारण पिछले एक माह में माफिया पर चल रहा बुलडोजर थम गया है. प्रदेश में पिछले दो साल से लगातार माफिया के खिलाफ बुलडोजर चल रहा है. महिलाओं के साथ बलात्कार करने वालों के घर तोड़े जा रहे हैं. खरगोन में दंगों के बाद दंगाइयों के घर तोड़कर भी राज्य सरकार पूरे देश में चर्चा में आ गई थी. माफिया के खिलाफ यह कार्रवाई फिलहाल बंद हो गई है.
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जिलों में पूरा प्रशासन और पुलिस चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं. पुलिस और प्रशासन के चुनाव में लगे होने के कारण गुंडों और बदमाशों के खिलाफ चल रही कार्रवाईयां थमी हुई हैं. बुलडोजर अभियान को बंद करने का एक बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि नगरीय निकाय के चुनाव के दौरान सरकार किसी भी वर्ग को नाराज नहीं करना चाहती है.
गृह विभाग के सूत्रों के अनुसार, पिछले 20 दिन से बुलडोजर अभियान को बंद कर दिया है. यह अभियान अब चुनाव के बाद ही चलेगा. हालांकि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने भाषणों में यह कह रहे हैं कि गुंडों और बदमाशों को नहीं छोड़ा जाएगा. पिछले आंकडों की बात करें तो दो साल तक लगातार चल रहे माफिया अभियान के तहत 21,502 एकड़ सरकारी और निजी भूमि को माफिया से मुक्त कराया गया है. इस भूमि का मूल्य 18,146 करोड़ है.
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1 जनवरी 2021 से मार्च 2022 तक 3814 लोगों के अतिक्रमण तोड़ने की कार्रवाई की गई है. बुलडोजर पर चुनावी ब्रेक लगने का एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि चुनाव मैदान में खड़े अनेक उम्मीदवार कहीं न कहीं चुनाव में उन लोगों का सहयोग ले रहे हैं, सरकार जिन्हें माफिया मानती है. ऐसे में उम्मीदवारों का भी इस बात को लेकर दबाव है कि माफिया पर फिलहाल कार्रवाई न की जाए.