मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भाजपा का प्रदेश संगठन द्वंद्व के दौर से गुजर रहा है और इसकी वजह मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार है. किसे मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए और किसे बाहर रखा जाए, इसके लिए मुख्यमंत्री और संगठन के नेताओं के बीच लगातार बैठकें चल रही हैं. संभावित मंत्रियों के नाम पर अंतिम मुहर जल्द लगने के आसार हैं. राज्य की सत्ता में बदलाव हुए तीन माह से ज्यादा का वक्त गुजर गया है, मगर मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार नहीं हो पा रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के अलावा मंत्री के तौर पर मंत्रिमंडल में कुल जमा पांच सदस्य ही हैं, जिससे कामकाज पर भी असर पड़ रहा है.
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मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार की कवायद जारी है. चौहान का कहना है कि राज्य मंत्रिमंडल का जल्दी ही विस्तार होगा. इसके लिए राज्य में संगठन से उनकी चर्चा हो गई है और जल्दी ही वे दिल्ली भी जाएंगे. मंत्रिमंडल विस्तार न हो पाने की यूं तो कई वजहें बताई जा रही हैं, मगर मूल कारण पर पर्दा डाला जा रहा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं और उनके साथ तत्कालीन 22 विधायकों ने भी भाजपा का दामन थामा और इसी कारण राज्य में 15 माह बाद दोबारा भाजपा की सरकार बनी. शिवराज मंत्रिमंडल में दलबदल करने वाले 10 से 12 लोगों को मंत्री पद दिया जाना है. दो सदस्य तुलसी राम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत पहले ही मंत्री बन चुके हैं. आगामी समय में 10 अन्य बागियों को समायोजित करने की चुनौती है.
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दूसरी ओर, भाजपा में भी अनुभवी और कद्दावर नेताओं की सूची लंबी है. बागियों को समायोजित करने का आशय है, भाजपा के नेताओं के हिस्से में डाका डलना. इससे पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ने की आशंका बनी हुई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बीते दो दिनों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, प्रदेश महामंत्री संगठन सुहास भगत सहित अन्य नेताओं के साथ कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं. इन बैठकों में नामों पर चर्चा हुई. मुख्यमंत्री चौहान भी जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार होने की बात कह रहे हैं. वहीं, मंत्रिमंडल विस्तार की लंबे अरसे से चल रही कवायद पर कांग्रेस प्रवक्ता अजय यादव तंज कसते हैं और कहते हैं कि भाजपा में असंतोष है, यही कारण है कि मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पा रहा है. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पार्टी के भीतर जो होगा, वह सबके सामने आ जाएगा.
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राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस का कहना है कि भाजपा में मंत्रिमंडल के विस्तार के चलते अपनों के बीच पनपने वाले असंतोष को काबू में रखना बड़ी चुनौती रहेगा, क्योंकि कई प्रमुख नेताओं को मंत्रिमंडल से बाहर रहना पड़ सकता है. इसकी वजह भी है, क्योंकि सिंधिया के साथ पार्टी में आए लोगों को मंत्री जो बनाना है. भाजपा में कांग्रेस जैसा असंतोष होने की संभावना कम ही है, क्योंकि भाजपा का अनुशासन नेताओं को बगावत करने से रोक लेता है.
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