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कांग्रेस के वचन-पत्र को पूरा करने में जुटे कमलनाथ के लिए आसान नहीं है 'टीम मध्य प्रदेश' बनाना!

मध्य प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आ गई, कमलनाथ मुख्यमंत्री भी बन गए, मगर अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती ऐसे मंत्रियों और अफसरों का चयन करना है,

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Drigraj Madheshia
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कांग्रेस के वचन-पत्र को पूरा करने में जुटे कमलनाथ के लिए आसान नहीं है 'टीम मध्य प्रदेश' बनाना!

कमलनाथ जल्‍द करेंगे अपने कैबिनेट गठन

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मध्य प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आ गई, कमलनाथ मुख्यमंत्री भी बन गए, मगर अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती ऐसे मंत्रियों और अफसरों का चयन करना है, जिनमें 'टीम मध्य प्रदेश' नजर आए. यह उतना आसान नहीं है, जितना समझा जा रहा है, अब देखना होगा कि लगभग चार दशक का संसदीय अनुभव रखने वाले कमलनाथ 'टीम मप्र' बना पाते हैं या 'टीम नेता समर्थकों' की बनती है. कमलनाथ ने 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद वे पूरी तरह एक्शन में हैं. कांग्रेस के वचन-पत्र को पूरा करने में जुट गए हैं. बीते दो दिनों में कमलनाथ ने किसान कर्ज माफी, युवाओं को रोजगार, कन्या विवाह अनुदान में इजाफा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाया गया है.

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बीते दिनों पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि कमलनाथ पूरी तरह एक्शन में हैं. अब उनके सामने बड़ी चुनौती अगर कोई है तो वह है, मंत्रियों का चयन और प्रशासनिक अमले में बड़ा बदलाव.राज्य में कई अफसर ऐसे हैं जो पूर्ववर्ती सरकार में ताकतवर थे और अब उन्होंने कमलनाथ की ड्योढ़ी पर दस्तक देना शुरू कर दिया है और पुराने रिश्तों व निष्ठा का गुणगान करने लगे हैं.

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पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच ने आईएएनएस से कहा, "नई सरकार के बदलने पर प्रशासनिक फेरबदल होते हैं, यह सामान्य बात है, जो भी सरकार आती है वह योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन करने के साथ आमजन को उसका लाभ पहुंचाना चाहती है, इसके लिए वह अपने हिसाब से अच्छे अफसर लाती है. कई अफसरों की पार्टी कार्यकर्ता के तौर काम करने की छवि बन जाती है, उन्हें बदला जाता है. वैसे हर सरकार अच्छी टीम बनाने की कोशिश करती है."

अपने अनुभव को साझा करते हुए बुच ने कहा, "उन्हें केंद्र से मोतीलाल बोरा ने राज्य में लाकर गृह विभाग का प्रमुख सचिव बनाया था, जब सुंदर लाल पटवा की सरकार आई तो बदला नहीं गया. सेवा अवधि में कभी समझौता नहीं किया, काम पूरी ईमानदारी और जनता के लिए किया. जब अधिकारी ईमानदारी और जनता के हित में काम करता है तो उसे छेड़ा नहीं जाता."सूत्रों की मानें तो राज्य में सबसे ज्यादा जोर आजमाइश मुख्य सचिव को लेकर चल रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि वर्तमान मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह सेवावृद्घि पाए हुए हैं. दो बड़े दावेदारों में अपर मुख्य सचिव एसआर मोहंती और प्रभांशु कमल का नाम है, मगर इस दौड़ में एक और नाम चल रहा है वह गौरी सिंह का है.

सूत्रों का कहना है कि मोहंती पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी हैं और सिंह मोहंती को नया मुख्य सचिव बनाने की लॉबिंग कर रहे हैं. मोहंती का सबसे कमजोर पक्ष एक घोटाले में उनके नाम का जुड़ना रहा है. अब वे उस आरोप से दूर हैं. दूसरी ओर प्रभांशु कमल की गिनती सक्षम अधिकारियों में है, फिलहाल वे विवादों से दूर रहे और किसी तरह का आरोप उन पर नहीं है. कमलनाथ किस अफसर को मुख्य सचिव की जिम्मेदारी देते हैं, इसके आधार पर प्रशासनिक कार्यशैली का राज्य को संदेश मिल जाएगा.

सूत्रों की मानें तो एक तरफ जहां मुख्य सचिव के लिए दावे हो रहे हैं तो दूसरी ओर पुलिस महानिदेशक के पद पर भी कई अफसरों की नजर है. वर्तमान डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला के सेवानिवृत्त होने में वक्त है, उसके बावजूद कई अफसर उन्हें दूसरी जगह भेजने की चाल चल रहे हैं. शुक्ला पुलिस महकमे के ईमानदार अफसर माने जाते हैं, मगर कई लोगों की आंख में वे खटक रहे हैं. अब देखना होगा कि कमलनाथ किस तरह की टीम बनाते हैं.

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राजनीतिक विश्लेषक भारत शर्मा का कहना है, "कांग्रेस के सामने 2019 का लोकसभा चुनाव जीतना लक्ष्य है, लिहाजा कमलनाथ की कोशिश होगी कि जनता तक सुविधाएं, योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाए और किसी तरह का असंतोष न पनपने दिया जाए. यह कमलनाथ के सत्ता संभालते दिखा भी. किसान कर्ज माफी, कन्या विवाह का अनुदान बढ़ाने का फैसला उसी क्रम में है. अब प्रशासनिक तौर पर ऐसे अफसर लाए जाएंगे जिनकी छवि ठीक हो, साथ ही सरकार के वादों को पूरा करने में सक्षम हों."

कमलनाथ के सामने एक तरफ जहां बेहतर प्रशासनिक अफसर चुनने की चुनौती है तो वहीं मंत्रिमंडल के सदस्यों का चयन भी आसान नहीं है. इसकी वजह यह है कि कई बड़े नेता जिनमें अजय सिंह, राजेंद्र सिंह, रामनिवास रावत, मुकेश नायक, सुरेश पचौरी, अरुण यादव चुनाव हार गए हैं.राज्य में नए मंत्रिमंडल के चयन में कमलनाथ को जहां गुटीय संतुलन बनाना है वहीं जातीय, वर्ग संतुलन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. इसके साथ ही उन्हें नए चेहरों को भी जगह देना होगी क्योंकि मंत्रिमंडल को युवा दिखाना भी चुनौती से भरा है.

Source : INAS

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