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महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर सवा करोड़ हनुमान चालीसा का होगा जाप, जानें एक किस्सा अकबर और हनुमान का भी

राज्य के जनसंपर्क मंत्री ने बुधवार को बताया कि 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है, और इस मौके पर मिंटो हाल में शाम 7.30 बजे से 8.30 बजे के बीच पंडित विजय शंकर मेहता सवा करोड़ हनुमान चालीसा का जाप करेंगे.

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yogesh bhadauriya
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हनुमान चालीसा का सवा करोड़ जाप किया जाएगा.( Photo Credit : News State)

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के मिंटो हॉल में गुरुवार 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर हनुमान चालीसा का सवा करोड़ जाप किया जाएगा. राज्य के जनसंपर्क मंत्री ने बुधवार को बताया कि 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है, और इस मौके पर मिंटो हाल में शाम 7.30 बजे से 8.30 बजे के बीच पंडित विजय शंकर मेहता सवा करोड़ हनुमान चालीसा का जाप करेंगे. इस आयोजन में मुख्यमंत्री कमलनाथ भी शामिल होंगे.

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राज्य में औद्योगिक विकास और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों का ब्यौरा देते हुए शर्मा ने बताया कि 'राज्य में उद्योग लगाने के लिए आवश्यक अनुमति के लिए आवेदन देने में सात दिन के अंदर अनुमति दे दी जाएगी, और विभाग की ओर से अगर अनुमति नहीं दी जाती है तो उसे अनुमति दिया जाना माना जाएगा.'

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बादशाह अकबर ने भी माना था रामभक्त हनुमान का चमत्कार

कई बार आंखों के सामने चमत्कार होते हैं और बिना तर्क और विज्ञान के लोग उसे मानने को मजबूर होते हैं. यह वह पल होता है जब लोगों को किसी शक्ति के होने का अहसास होता है.

ऐसा ही वाक्या बादशाह अकबर के समय में भी हुआ. मुस्लिम धर्म को मानने वाले अकबर ने भी कुछ ऐसा ही चमत्कार देखा. इस चमत्कार को बादशाह अकबर ने खुद स्वीकार किया और आखिरकार उसके सामने नतमस्तक भी हुए.

ऐतिहासिक तथ्य है कि रामभक्त तुलसीदास की भक्ति और छंद का प्रयोग काफी लोकप्रिय हो चुका था और यह ख्याति बादशाह अकबर के कानों तक पहुंची. अकबर कला और कलाकारों का काफी सम्मान किया करते थे और उनके ऐसे लोगों को अपने दरबार की शान बनाने का शौक भी था. अकबर के दरबारी ऐसे कलाकारों से बादशाह की तारीफ में कला का प्रदर्शन करने को कहा करते थे.

ऐसा ही कुछ तुलसीदास के साथ भी हुआ. कहा जाता है कि तुलसीदास की ख्याति से अभिभूत होकर अकबर ने तुलसीदास को अपने दरबार में बुलाया और कोई चमत्कार प्रदर्शित करने को कहा गया. क्योंकि रामभक्त तुलसीदास केवल राम की शरण में भक्ति मात्र के लिए अपनी कला को जनमानस के लिए प्रयोग में लाते थे, अत: उन्हें बादशाह अकबर का कोई खौफ नहीं था और उन्हें अकबर की यह बाद पसंद नहीं आई.

यह बात तुलसीदास की प्रकृति और प्रवृत्ति के अनुकूल नहीं थी. इसलिए तुलसीदास ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. तुलसीदास के द्वारा इनकार करने की बात को बादशाह अकबर ने अपनी तौहीन समझा और इससे नाराज होकर उन्होंने तुलसीदास को बंदी बनाने का आदेश दे दिया.

तुलसीदास को कारागार या कहें के जेल में डाल दिया गया. इसका असर कुछ ऐसा रहा कि पूरी की पूरी अकबर की सेना और चौकीदार खौफ में आ गए. बताया जाता है कि अकबर की राजधानी और राजमहल में बंदरों का अभूतपूर्व एवं अद्भुत उपद्रव आरंभ हो चुका था. सैनिकों में हाहाकार मच गया और संदेश में बादशाह अकबर तक पहुंचा.

बंदरों के आतंक का खौफ कुछ इस कदर छाया कि अकबर को भी यह बताया गया कि यह हनुमान जी का क्रोध है. हालत कितने खराब हो गए होंगे इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई लड़ाइयां जीतने वाले अकबर को विवश होकर तुलसीदास को मुक्त करने का आदेश देना पड़ा.

इस वाक्ये से यह तो साफ है कि बंदरों के हमलावर होने से अकबर की विशाल सेना के सिपाहियों में भी आतंक का माहौल बन गया था और यह भी सभी ने मान लिया कि यह हमला तुलसीदास की गिरफ्तारी के बाद से नाराज हनुमान जी की सेना ने किया यानि बंदरों ने रामभक्त तुलसीदास को बेवजह प्रताड़ना दिए जाने का विरोध किया और आखिरकार उनकी जेल से आजादी के साथ मामला शांत हुआ.

Source : IANS

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