मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में प्रदेश के सभी किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज माफ करने का वादा किया था, जिसे कमलनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के कुछ घंटे बाद ही पूरा कर दिया. इससे पूरे देश में कमलनाथ ने वाहवाही लूटी. सदन में विधायकों का हंगामा रोकने को लेकर प्रस्ताव ला रहे कमलनाथ चुनाव के दौरान Tweeter पर शिवराज सरकार पर हमलावर रहे. अब वह अपने ब्लॉग के जरिए बता रहे हैं उनकी लड़ाई अब किससे है..पढ़ें पूरा ब्लॉग..
इस लड़ाई में हम कामयाब होंगे
कठोर डगर की विरासत पर
सधे हुए कदमों से बढ़ेंगे हम ,
पूरे हौसले से सारी कठिनाइयों से लड़ेंगे हम ,
सुशासन की एक-एक सीढ़ियाँ गढ़ेंगे,
और कदम-दर-कदम
उस पर चढ़ेंगे हम -
चढ़ेंगे हम -
राज्यपाल महोदया ने 'हम सबकी सरकार कैसे प्रदेश का भविष्य सँवारेगी' इस पर प्रकाश डाला है. मैं ये मानता हूँ कि हमारे सामने आर्थिक संदर्भों में कई चुनौतियाँ हैं, मगर चुनौतियों को अवसर में बदलने का नाम ही मध्यप्रदेश है. हम इस कठोर डगर पर सधे हुए कदमों से चलेंगे. हम जानते हैं कि बीते 15 वर्ष के इतिहास की गलतियों से सबक नहीं लेंगे तो भविष्य हमें माफ़ नहीं करेगा. हमारी मान्यता है कि किये हुए काम अपना प्रचार ख़ुद करते हैं, इसलिए हम सिर्फ़ कोरी घोषणाओं से बचें और अपना सारा ध्यान काम पर लगाएँ.
मध्यप्रदेश के नागरिकों ने नई सरकार को बदलाव के लिये चुना है. ये बदलाव सुशासन के लिये है. बीते 24 दिनों में बदलाव की पदचाप सुनाई देने लगी है. हम सरकार में से 'मैं और मेरी' हटाकर 'हमारी सरकार' की भावना स्थापित करना चाहते हैं. अब हर नागरिक गर्व से कह सकता है, 'मैं भी सरकार हूँ'. हम सही मायने में सत्ता की कमान प्रदेश के नागरिकों को सौंपना चाहते हैं .
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विश्वास मानिए, जब भी सत्ता 'व्यक्ति केंद्रित' होती है, तो प्रजातंत्र को नुकसान पहुँचता है. इसमें सामूहिकता का बोध होना चाहिए. पक्ष, प्रतिपक्ष और जनता, सबका दायित्व प्रजातंत्र ने निर्धारित किया है. हमारी मान्यता है कि सरकार ठीक काम करे, इसके लिये प्रतिपक्ष मज़बूत और ज़िम्मेदार होना चाहिये.
मैं ये साफ़ कर देना चाहता हूँ कि हमारी लड़ाई प्रतिपक्ष के खिलाफ़ नहीं है. हम सब मिलकर मध्यप्रदेश की आर्थिक बदहाली, कुपोषण, अपराध, घटते रोज़गार के अवसर और कम होते औद्योगिक निवेश के खिलाफ़ लड़ाई लड़ेंगे और कामयाब होंगे. हमारी प्राथमिकता में नागरिकों का स्वास्थ्य, शिक्षा और अधोसरंचना भी है.
हमारे अन्नदाता भाइयों को कठिनाइयों से उबारना है. कर्ज माफ़ी स्थाई समाधान नहीं है. उनकी बहुत बड़ी अपेक्षाएँ नहीं हैं. वो सिर्फ़ अपनी फ़सलों के दाम चाहते हैं,ये हमें सुनिश्चित करना होगा.
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भारतीय सनातन संस्कृति से बेटियाँ देवियों का स्वरूप हैं. उनसे प्रेरणा ली गई है. आज क्या हम उन्हें प्रताड़ित होने दें ? कतई नहीं. उनके सशक्तिकरण के लिए कदम उठा रहे हैं. उनके ससुराल जाने के वक्त 51 हज़ार रु. देकर पिता का फ़र्ज निभा रहे हैं. बेटियाँ खुशी मनाती हैं, तो तरक्की मुस्कुराती है.
प्रदेश का उज्जवल भविष्य युवाओं में निहित है. अगर उनको अवसर प्रदान किये जाएंगे, तो हम तरक्की की पायदान चढ़ते जाएंगे. ये तब ही संभव है जब मध्यप्रदेश में निवेश हो और वो सिर्फ़ बड़े आयोजनों से आकर्षित नहीं होगा. बड़े कदम उठाने की ज़रूरत है. लाल फीता शाही ख़त्म कर लाल कारपेट बिछाने होंगे.
गौ माता के लिए गौ शाला हो, भगवान राम का वनगमन पथ या नर्मदा जैसी शास्त्रीय नदियों की अविरलता हो, हम अपने वचन-पत्र के प्रति पूरी प्रतिबद्धता से काम करेंगे.
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हम गर्व से कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश देश का वो राज्य है जहाँ सबसे ज़्यादा आदिवासी भाई रहते हैं और प्रदेश के विकास में भरपूर साथ देते हैं. अब बारी हमारी है उनका साथ निभाने की, उनकी खुशियाँ उन्हें लौटाने की. अनुसूचित जाति, सामान्य वर्ग, हर वर्ग के हाथों में लेकर हाथ चलेंगे. हम सब साथ साथ करेंगे 'सिर्फ़ और सिर्फ़ सुशासन के लिए बदलाव की बात. ' मैं जब से चला हूँ, मेरी मंज़िल पर निगाह है. आज तक मैंने मील का पत्थर नहीं देखा.
Source : News Nation Bureau