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बक्सवाहा के जंगल को बचाने के लिए बच्चों ने भी उठाई आवाज

बुंदेलखंड में यह पहला मौका है जब पर्यावरण के प्रति जनचेतना नजर आ रही है. इसकी वजह भी है क्योंकि कोरोना काल ने लोगों को ऑक्सीजन के महत्व को बताया दिया है.

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Ritika Shree
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save forest ( Photo Credit : आइएएनएस)

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बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में स्थित बक्सवाहा के जंगल को हीरा खनन के लिए एक निजी कंपनी को सौंपे जाने की चल रही तैयारी के खिलाफ बच्चे भी खड़े होने लगे हैं. बच्चे सरकार को जंगल कटाई के नुकसान तो बता ही रहे है, साथ ही जंगल को नहीं कटने देने की अपील भी कर रहे हैं. कभी बुंदेलखंड जल, जंगल के मामले में समृद्ध हुआ करता था. वक्त की मार ने इस इलाके को हरियाली को तो ग्रहण लगाया ही, जल स्रोतों को भी दफन करने में हिचक नहीं दिखाई. यह सिलसिला निरंतर जारी है और अब जो इस इलाके का जो भी हिस्सा हरा भरा बचा है, उसे भी तबाह करने की पटकथा लिखी जा रही है. बात हम छतरपुर जिले की बकस्वाहा के जंगल की कर रहे हैं. यहां के जंगल का बड़ा हिस्सा एक निजी कंपनी को सौंपा जा रहा है क्योंकि यहां की जमीन में हीरा दफन है.

हीरा उत्खनन के लिए जंगल को लीज पर दिए जाने की प्रक्रिया जारी है, तो वही इसका विरोध भी शुरू हो गया है. संभवत बुंदेलखंड में यह पहला मौका है जब पर्यावरण के प्रति जनचेतना नजर आ रही है. इसकी वजह भी है क्योंकि कोरोना काल ने लोगों को ऑक्सीजन के महत्व को बताया दिया है. इस बीमारी के मरीजों की जीवन रक्षा के लिए सबसे जरूरी ऑक्सीजन को ही माना गया है और ऑक्सीजन इन्हीं पेड़ों से उत्सर्जित होती है. यह बात लोगों के मन मस्तिष्क में बैठ गई है. बक्सवाहा के जंगल की रक्षा के लिए सिर्फ बुंदेलखंड ही नहीं देश के अनेक हिस्सों से आवाजें उठ रही हैं . इस मामले में बच्चे भी पीछे नहीं है. बच्चों के सोशल मीडिया पर लगातार वीडियो वायरल हो रहे हैं और वे सरकार को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि पेड़ हमारे लिए कितनी जरूरी है. बच्चों ने जंगल को बचाने के लिए कविताएं भी पढ़ी हैं और सरकार से हाथ जोड़कर आग्रह भी किया है इन वीडियो के जरिए.

कुल मिलाकर बक्सवाहा जंगल को बचाने कि इस अभियान मे हर वर्ग, हर उम्र के लोग शामिल हो चले हैं और सभी यही संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि जंगल तो नहीं कटने देंगे. एक तरफ जहां जंगल पर्यावरण के लिए जरूरी है तो दूसरी ओर बक्सवाहा इलाके के सैकड़ों गांव के हजारों परिवारों की आजीविका का साधन भी है, इसके अलावा वन्य प्राणियों का बसेरा भी यहां है . जल स्रोत है यहां संस्कृति भी बसती है यहां पर, इसलिए हर कोई जंगल बचाने की मुहिम में आगे आ रहा है. बक्सवाहा के जंगल में हीरो का भंडार है और यहां लगभग 3.42 करोड़ कैरेट हीरे दबे हो सकते हैं. इसकी कीमत कई हजार करोड़ आंकी गई है. यहां हीरा पन्ना से ज्यादा होने का अनुमान है. जिस कंपनी ने हीरे खनन का काम लेने में दिलचस्पी दिखाई है, वह इस इलाके की लगभग 382 हेक्टेयर जमीन की मांग कर रही है. ऐसा अगर होता है तो इस इलाके के लगभग सवा दो लाख वृक्षों की कटाई तय मानी जा रही है.

HIGHLIGHTS

  • बच्चे सरकार को जंगल कटाई के नुकसान तो बता ही रहे है
  • हीरा उत्खनन के लिए जंगल को लीज पर दिए जाने की प्रक्रिया जारी है

Source : IANS

children Trees campaign save forest source of oxygen Baxwaha
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