मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के तहत हाल ही में हुए मतदान के बाद 10 नवंबर को होने वाली मत गणना में अपनी-अपनी जीत के दावे करते हुए सत्तापक्ष भाजपा और विपक्ष कांग्रेस ने एक दूसरे पर विधायकों की ‘खरीद-फरोख्त’ के आरोप लगाए हैं. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को आरोप लगाया कि भाजपा के विधायकों के पास प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के फोन आ रहे हैं और वह भाजपा के विधायकों को लालच देने की कोशिश कर रहे हैं.
शिवराज सिंह चौहान ने पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस और कमलनाथ भाजपा विधायकों से संपर्क करने और उन्हें लालच देने का असफल प्रयास कर रहे हैं. अगर जोड़-तोड़ और खरीद फरोख्त की राजनीति की है तो यह कमलनाथ ने की है. कमलनाथ, मध्यप्रदेश की राजनीति में गंदगी लेकर आए हैं. वाह री कांग्रेस वो करें तो मैनेंजमेंट और हमारे पास कोई मन से आ जाये तो वो खरीद फरोख्त? यह गंदा खेल कमलनाथ आपने शुरू किया. उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक भ्रष्टाचार की शुरुआत मध्य प्रदेश की धरती पर किसी ने की है तो वो कमलनाथ ने की.
कांग्रेस के आरोप कि भाजपा, उसके कुछ विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रही है पर मुख्यमंत्री चौहान उत्तर दे रहे थे. मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव के तहत तीन नवंबर को मतदान हुआ है. इसमें से 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने से तथा तीन सीटें विधायकों के निधन होने से रिक्त हुई थीं. चौहान ने कहा कि कांग्रेस जब भाजपा विधायकों को अपने पक्ष में लाने का प्रयास करे तो इसे ‘मैंनेंजमेंट’ कहती है, लेकिन जब कोई कांग्रेस का विधायक अपने मन से हमारे पास आता है तो इसे खरीद फरोख्त की राजनीति कहती है.
चौहान ने कहा कि उपचुनाव के आने वाले परिणामों में अपनी पराजय भांप कर कमलनाथ और कांग्रेस बौखला गई हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे विधायक सिद्धांतों और विचारधारा के लिए काम करते हैं. उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को जारी अपने बयान में कमलनाथ ने भाजपा पर कांग्रेस विधायकों को ‘प्रस्ताव’ के साथ लुभाने का आरोप लगाया था. कमलनाथ ने कहा था कि भाजपा उपचुनाव में अपनी करारी हार देख रही है, इसलिए वह अब हार्स ट्रेडिंग (विधायकों की खरीद-फरोख्त) का सहारा ले रही है. मैंने कांग्रेस के कई विधायकों से बात की, जिन्होंने मुझे भाजपा से मिले लुभावने प्रस्तावों के बारे में बताया.
मालूम हो कि इस वर्ष मार्च माह में कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र देने के बाद भाजपा में शामिल होने से कमलनाथ सरकार अल्पमत में आकर गिर गई थी. इनमें अधिकांश विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक थे. सिंधिया स्वयं भी मार्च में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के 107, कांग्रेस के 87, बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं. 28 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा होने के बाद दमोह से कांग्रेस के विधायक राहुल लोधी भी त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए.
इसके बाद सदन की प्रभावी संख्या 229 के आधार पर सदन में साधारण बहुमत का जादुई आंकड़ा 115 का होता है. भाजपा को इस आंकड़े को छुने के लिए आठ सीटों की जरूरत है जबकि कांग्रेस को सभी 28 सीटें जीतना जरूरी है, इसलिए उपचुनाव के परिणाम मध्य प्रदेश की आगामी सरकार का भविष्य तय करने में अहम साबित होंगे.
Source : Bhasha