जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के आदिवासी परिवारों को एक चिटफंड कंपनी द्वारा कम समय में दो गुनी राशि देने के नाम पर छला. ग्रामीणों द्वारा अपने साथ हुए धोखाधड़ी की शिकायत वर्ष 2016 में सृष्टि वेयर इंडिया प्रा. लिमिटेड कंपनी के खिलाफ की गई थी. पुलिस ने 4 जनवरी को चिटफंड कंपनी के सीएमडी एस.एल. फ्रांसिस को जबलपुर के आधारताल स्थित निजी अस्पताल से गिरफ्तार कर लिया.
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मामले में पुलिस ने आरोपी को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया जहां न्यायालय ने आरोपी से पूछताछ के लिए 7 जनवरी तक पुलिस रिमांड पर सौंप दी है. वहीं कंपनी के खिलाफ कोतवाली थाना अंतर्गत ग्राम हर्री निवासी टीकम प्रसाद रजक ने सृष्टि वेयर इंडिया प्रा. लिमिटेड कंपनी के खिलाफ जिसमें कंपनी के सीएमडी एस.एल. फ्रांसिंस के साथ नरेन्द्र राठौर व एक अन्य के खिलाफ नामजद शिकायत दर्ज कराई थी.
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शिकायतकर्ता ने कंपनी द्वारा 70 हजार रूपए धोखाधड़ी कर गबन करने का आरोप लगाया था. पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ 420 का मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ की. जांच अधिकारी सहायक उपनिरीक्षक अभयराज सिंह के अनुसार 17 दिसम्बर 2018 से की गई विवेचना में पाया गया कि कंपनी वर्ष 2014 में 10 अन्य लोगों के साथ (गोष्ठी) सृष्टि वेयर इंडिया कंपनी के नाम से एक कंपनी बनाया गया था. यह कंपनी अनूपपुर तहसील कार्यालय के पीछे किराए के मकान में संचालित थी.
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कंपनी ने लोगों के पैसे जमा कराने के लिए कंपनी के नाम राष्ट्रीयकृत बैंक पंजाब नेशनल बैंक में खाता खुलवाया था. जिसमें बतौर सीएमडी पदाधिकारी के रूप में एसएल फ्रांसिस था.
पूर्व में शहडोल स्थित निजी अस्पताल में एकाउंट शाखा में कार्य करता था, जहां 2016 में यह शहडोल का कार्य छोड़कर जबलपुर स्थित संजीवनी अस्पताल आधारताल जबलपुर में कार्य करने लगा. जांच अधिकारी का कहना है कि जांच में पीडित द्वारा दर्ज कराए गए तीन नामजद लोगों में लगभग 13 लोग आरोपी पाए गए.
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इनमें 10 अन्य डायरेक्टर के रूप में लोगों के नाम सामने आने के साथ ही इनके द्वारा कई करोड़ की राशि गबन का मामला भी सामने आया. जिसपर पुलिस ने तत्काल सभी आरोपियों के खिलाफ 420 के साथ अन्य धाराए लगाते हुए मामला दर्ज किया. लगभग 55 लाख 66 हजार का गबन सामने आया. पुलिस का कहना है कि अभी अन्य हितग्राहियों की पहचान की जा रही है. इस दौरान कुछ हितग्राहियों ने पुलिस को दो चेक भी दिखाए, जिसे कंपनी के एजेंट ने हितग्राहियों की राशि वापस कराने के लिए सौंपे गए. इनमें एक हितग्राही का 4 लाख तथा दूसरे हितग्राही का 20 हजार का चेक था, हितग्राहियों के अनुसार बैंक में जाने पर खाते में एक भी पैसा नहीं होना पाया गया.
Source : News Nation Bureau