मध्यप्रदेश में कांग्रेस को विधानसभा में नया नेता प्रतिपक्ष जल्दी ही मिल सकता है, क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ इस पद से मुक्ति चाह रहे हैं. इतना जरूर है कि जो नया नेता प्रतिपक्ष बनेगा वह कमल नाथ की पसंद का ही होगा. राज्य विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र 28 दिसंबर से शुरू होने वाला है, इससे पहले कांग्रेस में नए नेता प्रतिपक्ष की चर्चाएं जोर पकड़े हुए हैं.
पार्टी के अंदर तो यह कहा जा रहा है कि वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के निधन होने के बाद कमलनाथ की कांग्रेस की केंद्र की राजनीति में भूमिका बढ़ सकती है और उन्हें बड़ी जिम्मेदारी भी पार्टी हाईकमान सौंप सकता है. बीते दिनों कमलनाथ की सोनिया गांधी से हुई मुलाकात को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. नेता प्रतिपक्ष के दावेदारों पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि पार्टी अनुसूचित जाति वर्ग के नेता पर दांव लगा सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद पर अनुसूचित जनजाति वर्ग से नाता रखने वाले विक्रांत भूरिया चुनाव जीत गए हैं.
इससे अनुसूचित जनजाति के वर्ग के नेता बाला बच्चन और डॉ. विजय लक्ष्मी साधो का दावा नेता प्रतिपक्ष के लिए कमजोर पड़ रहा है. इस पद के लिए अनुसूचित जाति वर्ग के सज्जन वर्मा के अलावा डॉ. गोविंद सिंह, हर्ष यादव, बृजेंद्र सिंह राठौर जैसे नेताओं के भी नाम लिए जा रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का मानना है कि कांग्रेस का नेता प्रतिपक्ष ऐसा होना चाहिए जो जमीन पर लड़ाई लड़ सके.
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि विधानसभा के सत्र से एक दिन पहले यानि 27 दिसंबर को विधायक दल की नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ ने बैठक बुलाई है. इस बैठक में संभव है कि बड़ा फैसला हो जाए. वहीं राजनीतिक के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के कई नेता चाहते हैं कि कमल नाथ प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष में से एक कोई पद छोड़ें, ताकि एक पद पर किसी दूसरे नेता को मौका मिल सके.
कमल नाथ भी नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ने का मन बना चुके हैं, इसकी वजह है क्योंकि कमल नाथ प्रदेश संगठन की जिम्मेदारी अपने पास रखते हुए वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी निभाने के इच्छुक हैं. इसलिए इस बात की संभावना ज्यादा है कि कमल नाथ प्रदेशाध्यक्ष बने रहेंगे और नेता प्रतिपक्ष वहीं बनेगा जिसे कमल नाथ चाहेंगे.
Source : IANS/News Nation Bureau