कांग्रेस (Congress) की मध्यप्रदेश इकाई ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) पर बड़ा हमला बोला है और आरोपपत्र जारी कर कहा है कि शिवराज सरकार के आते ही घोटालों की शुरुआत हो गई है. विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने आरोप पत्र जारी करते हुए कहा है कि शिवराज सिंह चौहान द्वारा अपने पिछले कार्यकाल में किए गए घोटालों और भ्रष्टाचार (Corruption) के प्रमाण अब भी जमीन पर खड़े हैं. विदिशा में वेयरहाउस, विशालकाय डेयरी, ससुराल गोंदिया में रिश्तेदारों की संपत्ति, पुत्रों की अमेरिका में पढ़ाई के खर्चे, भोपाल में भाइयों की संपत्ति, यह सब बातें शिवराज सिंह चैहान के तथाकथित गरीब जीवन और उनके द्वारा किए गए घोटालों से जुड़ी जनश्रुतियों के हिस्से हैं और इतिहास में दर्ज भी हो चुके हैं.
7 माह में 17 घोटाले
कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया है कि शिवराज सिंह चैहान के नेतृत्व वाली सरकार ने सात माह में 17 घोटाले किए हैं. शिवराज सरकार के काल में ग्वालियर में आटा घोटाला हुआ है. गरीब-मजदूरों को 10 किलो आटे के पैकेट में महज छह किलो से लेकर आठ किलो तक आटा दिया गया. इसी तरह कोरोना काल में जनता की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बांटे गए त्रिकूट चूर्ण में भी घोटाला हुआ है. उनका कहना है कि प्रदेश के 10 में से नौ घरों तक यह चूर्ण पहुंचा ही नहीं है. शराब के दाम तय करने में भी घोटाला हुआ है.
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तबादले तक में घोटाला
उन्होंने कहा कि तबादला उद्योग घोटाला किसी से छुपा नहीं है. शिवराज सरकार आने के बाद फर्जी बिजली बिल घोटाला, पीपीई किट घोटाला, मध्यान्ह भोजन घोटाला, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि घोटाला, सौभाग्य योजना घोटाला, चावल घोटाला, किसानों की सब्सिडी हड़पने का घोटाला, फर्नीचर खरीदी घोटाला, प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना घोटाला, बायो-फर्टिलाइजर घोटाला, प्रवासी मजदूर खाना घोटाला हुआ है.
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छल और धन-बल से आई सरकार
कांग्रेस नेताओं ने आगे कहा कि बीते सात माह में भ्रष्टाचार और रोज नित नए घोटालों से भरा कार्यकाल है. शिवराज सिंह चौहान के पिछले 15 सालों के कार्यकाल पर जनता ने तो 2018 में अपना फैसला सुना ही दिया था, लेकिन छल और धन-बल के सहारे की गई खरीद-फरोख्त से कांग्रेस की सरकार गिरा दी गई.