कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए प्रदेश में प्लाज्मा थेरेपी शुरू हो गई है. मेडिकल कौंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज को प्लाज्मा थेरेपी के लिए क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दे दी है. इसके तुरंत बाद मेडिकल कॉलेज ने एमवाय अस्पताल ने प्लाज्मा दान लेना शुरू कर दिया.
6 महीने चलेगा परीक्षण
इस थेरेपी में कोरोना के ठीक हो चुके मरीजों के रक्त में से प्लाज्मा निकालकर उन कोरोना पॉजिटिव मरीजों के शरीर में इंजेक्ट किया जाएगा जो फिलहाल अस्पतालों में हैं. प्लाज्मा दान देने वाले और प्लाज्मा दान लेने वाले दोनों मरीजों की सेहत पर सतत निगरानी रखी जाएगी. यह परीक्षण 6 महीने चलेगा.
थेरेपी से जुड़े हर मरीज का डाटा आईसीएमआर को भेजा जाएगा. इधर, सूचना मिलते ही एमजीएम मेडिकल कॉलेज में चंद घंटों में ही तैयारियां पूरी कर ली गईं. गुरुवार को ही पहला डोनर मिल गया.
प्लाज्मा थेरेपी को माना जा रहा है रामबाण औषधि
फिलहाल कोरोना के 30 मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाने की अनुमति मिली है. कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी को रामबाण औषधि माना जा रहा है लेकिन आईसीएमआर से इसके ट्रायल की अनुमति नहीं मिलने से इसका प्रयोग नहीं किया जा रहा था.
अब आईसीएमआर ने देशभर के 21 केंद्रों को प्लाज्मा थेरेपी ट्रायल की अनुमति प्रदान कर दी है. प्रदेश में यह अनुमति एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर और गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल को मिली है. गुरुवार को पहले प्लाज्मा दानी के रूप में ट्रेनी आईपीएस अधिकारी आदित्य मिश्रा ने एमवाय अस्पताल में प्लाज्मा दान किया.
बताया गया कि प्लाज्मा दान करने वाले की उम्र 18 साल से अधिक और वजन 55 किलो से अधिक होना चाहिए. प्लाज्मा दान करने के लिए यह भी अनिवार्य है कि प्लाज्मा देने वाले व्यक्ति की दो सतत कोरोना की जांच निगेटिव आई हो. साथ ही 14 दिन होम क्वारंटाइन का पीरियड भी पूरा कर लिया हो.
ऐसी है प्लाज्मा दान की प्रक्रिया
प्लाज्मा दाता की शारीरिक जांच होगी. उसके बाद दो ब्लड सैंपल लेकर संपूर्ण ब्लड टेस्ट किया जाएगा.
रिपोर्ट संतोषजनक होने पर डोनर को अगले दिन बुलाया जाएगा. आईसीएमआर द्वारा दाता को एक नंबर दिया जाएगा.
व्यक्ति से लिखित और मौखिक सहमति ली जाएगी. इसकी विधिवत ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाएगी.
दाता को एफरेसिस मशीन (रक्त में से प्लाज्मा अलग करने वाली मशीन) पर ले जाया जाएगा. वहां उसके शरीर में से तीन बार में रक्त मशीन में भेजा जाएगा. यह मशीन रक्त में से प्लाज्मा अलग कर रक्त को वापस दान करने वाले व्यक्ति के शरीर में पहुंचाएगी. दाता के शरीर से 500 मिली प्लाज्मा निकाला जाएगा.
प्लाज्मा दान करने वाले व्यक्ति के रक्त से निकाले गए प्लाज्मा को माइनस 40 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर सहेजा जाएगा. इसके बाद अस्पताल में भर्ती कोरोना के मरीजों के शरीर में इंजेक्ट किया जाएगा.
यह है प्लाज्मा थेरेपी
शरीर पर जब भी किसी वायरस का हमला होता है तो हमारा शरीर उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाता है. ये एंटीबॉडी वायरस से लड़कर उसे खत्म कर देती है. प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना को मात दे चुके व्यक्तियों के शरीर से प्लाज्मा के रूप में इन एंटीबॉडी को निकालकर अस्पताल में भर्ती मरीज के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है. ये एंटीबॉडी उस मरीज के शरीर में मौजूद वायरस से लड़कर उसे खत्म कर देती है. जिस व्यक्ति को प्लाज्मा चढ़ाया जा रहा है, भविष्य में वह भी प्लाज्मा दान कर सकता है.
Source : News Nation Bureau