मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में 20 जुलाई को सोमवती और हरियाली अमावस्या के मौके पर श्रद्धालु क्षिप्रा नदी के सभी घाटों पर न तो स्नान कर सकेंगे और न ही डुबकी लगा सकेंगे. इसके लिए जिलाधिकारी आशीष सिंह ने आदेश भी जारी कर दिए गए हैं. यह व्यवस्था कोरोना संक्रमण के मद्देनजर हर रविवार को की गई पूर्ण व्यवस्था के चलते की गई है.
आधिकारिक जानकारी में बताया गया है कि जिला दंडाधिकारी आशीष सिंह द्वारा प्रतिबंधात्मक आदेश जारी करते हुए आगामी 20 जुलाई को सोमवती एवं हरियाली अमावस्या पर्व पर क्षिप्रा नदी के सभी घाटों पर किसी भी प्रकार का स्नान एवं नदी एवं घाटों पर डुबकी लगाना पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया है. साथ ही नदी एवं घाटों के किनारे जाना भी पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा.
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जिलाधिकारी के आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक रविवार को जिला उज्जैन सीमा क्षेत्र के नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद एवं नगर पंचायत क्षेत्र में सम्पूर्ण बंदी शनिवार रात्रि 10 बजे से सोमवार प्रात: छह बजे तक रहेगा. इस अवधि में सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान बन्द रहेंगे. मर्निग वॉक भी पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा. साथ ही सभी किराना, फल, सब्जी आदि की दुकानें भी पूर्णत: प्रतिबंधित रहेंगी.
बता दें कि राज्य में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं. इसी क्रम में रविवार को पूरे राज्य में संपूर्ण बंदी का निर्णय लिया गया है.
सोमवती अमावस्या में स्नान का महत्व-
सोमवार को सोमवती अमावस्या का पावन दिन है. सोमवती अमावस्या हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है और इस दिन भगवान शिवजी की आराधना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त हो जाता है और नदी स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है.
पुराणों के अनुसार सोमवती अमावस्या पर स्नान-दान करने की भी परंपरा है. जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते, वे किसी भी नदी या सरोवर तट आदि में स्नान कर सकते हैं और शिव-पार्वती और तुलसीजी का पूजन कर सोमवती अमावस्या का पुण्य ले सकते है.
(IANS इनपुट के साथ)