आयकर विभाग की बेनामी प्रॉपर्टी विंग ने राजधानी भोपाल में बड़ी कार्रवाई की है. दो बिल्डरों की 22.5 एकड़ जमीन जब्त की है. इस जमीन का बाजार मूल्य 25 करोड़ रुपये से अधिक बताया गया है. यह जमीन बिल्डर ने आदिवासियों से खरीदी थी. वे इस जमीन को सीधे नहीं खरीद सकते थे, इसलिए उन्होंने अशोक नगर के एक आदिवासी के नाम पर खरीदी थी. ये जमीन 11 साल पहले खरीदी गई थी. लेन-देन भी उसी आदिवासी के बैंक खाते के जरिए की गई थी, लेकिन उक्त आदिवासी सरकारी रिकॉर्ड में गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) का कार्डधारक है. उसने अपनी मासिक आय केवल 300 रुपये बताई थी.
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आदिवासी का नाम कल्याण सिंह बताया गया है. उसने पूछताछ के लिए बुलाए जाने पर आयकर अधिकारियों को यह कह कर गुमराह करने की कोशिश की कि यह जमीन उसी ने खरीदी है, लेकिन विभाग को जल्द ही यह पता चला गया कि यह जमीन रियल एस्टेट कारोबारी शशिशंकर शर्मा और उनके बेटे विकास शर्मा की है. उन्होंने इस जमीन के कुछ हिस्से को बाद में अपने नाम भी करा लिया था. उसमें वे डेवलपमेंट का काम भी कर रहे थे. यह सारी जमीन 2008 से 2011 के बीच खरीदी गई थी.
कल्याण के नाम पर खोले गए लालघाटी स्थित सेंट्रल मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक से सारा लेनदेन किया गया. दिलचस्प यह है कि खुद कल्याण को खाते के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. वह अशोक नगर के मेमोन गांव में झुग्गी में रहता है. कई चरणों में हुई पूछताछ में शर्मा पिता-पुत्र और कल्याण के बयानों में काफी विरोधाभास था. विभाग ने सारी जमीन का बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम-2016 के तहत प्रोविजनल अटैचमेंट कर लिया है. शर्मा पिता-पुत्र को 15 दिन का नोटिस भेजकर बेनामी प्रॉपर्टी पर जवाब मांगा गया है. जारी वर्ष में अब तक भोपाल स्थित बेनामी प्रॉपर्टी विंग ने 200 से अधिक प्रापर्टी अटैच की है. इनका बाजार मूल्य 100 करोड़ रुपए से अधिक आंका गया है.
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कल्याण सिंह के नाम यह सारी जमीन 2008-10 के बीच खरीदी गई. जमीन के लिए कुल 6.50 करोड़ रुपए का भुगतान कल्याण के खाते से ही किया गया. करीब 1 करोड़ रुपये तो नकद ही दिए गए. कुल 22.5 एकड़ जमीन खरीदी गई. इसके 50 खसरे हैं. आयकर विभाग की बेनामी प्रॉपर्टी विंग ने दो माह पहले मामले की पड़ताल शुरू की थी. पहली बार जब कल्याण सिंह को पूछताछ के लिए बुलाया गया तो उसने दूसरे स्रोत से जमीन खरीदना बताया, लेकिन उसके पास ऐसी कोई चल-अचल संपत्ति थी ही नहीं जिससे उसे इतना पैसा मिल सके. इसके बाद इसके वास्तविक मालिक की पड़ताल शुरू हुई. जल्द ही पता चल गया कि शहर में रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े शशि शंकर शर्मा और विकास शर्मा इस जमीन के मालिक थे. कल्याण उन्हीं के खेत में काम करता है. वह मूलत: अशोक नगर का रहने वाला है.
Source : News Nation Bureau