विधानसभा उपाध्यक्ष को लेकर मध्य प्रदेश असेंबली में हंगामें के बीच लांजी से विधायक हिना कावरे विधानसभा की उपाध्यक्ष बनीं हैं. इससे पहले बीजेपी ने गुप्त मतदान की मांग की थी, जिसे खारिज कर दिया गया है. इससे खफा बीजेपी सदस्य नारेबाजी की. हंगामें को देखते हुए सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई थी. Bjp ने विधानसभा अध्यक्ष पर पक्षपात का आरोप लगाया है. बीजेपी का आरोप है कि पहले दिन से ही विपक्ष को दबाने की कोशिश की जा रही है.
बता दें प्रदेश में अभी तक चार बार उपाध्यक्ष का चयन मतदान से और एक बार प्रस्ताव अस्वीकृत होने से हो चुका है.
- पहली विधानसभा में 24 दिसंबर 1956 में विष्णु विनायक सरवटे और बृजलाल वर्मा के बीच मुकाबला हुआ था. इसमें सरवटे 140 मत लेकर उपाध्यक्ष चुने गए थे.
- इसके बाद 3 दिसंबर 1957 को अनंत सदाशिव पटवर्धन, 25 मार्च 1968 को रामकिशोर शुक्ल और 28 जुलाई 1975 को नारायण प्रसाद शुक्ला चुनाव के माध्यम से उपाध्यक्ष बने.
- 16 दिसंबर 1980 को एक बार फिर उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराने की नौबत आई. तब सुंदरलाल पटवा ने इस पद के लिए शीतला सहाय और मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने रामकिशोर शुक्ल के नाम का प्रस्ताव रखा था. पटवा का प्रस्ताव ध्वनिमत से अस्वीकृत हुआ और शुक्ल उपाध्यक्ष बने.
- वर्ष 1984 से उपाध्यक्ष पद सर्वसम्मति से विपक्ष को मिलता रहा है.
बता दें विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने गुरुवार को कांग्रेस विधायक हिना कावरे को उपाध्यक्ष घोषित किया. बीजेपी की ओर से इस पद के लिए विधायक जगदीश देवड़ा के नाम का प्रस्ताव रखा गया था. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए वोटिंग नहीं कराई गई. यह चयन प्रक्रिया अलोकतांत्रिक है. हम फैसले को कोर्ट मेें चुनौती देंगे. हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी.
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बीजेपी ने विधानसभा अध्यक्ष पर पक्षपात का आरोप लगाया और उनके इस्तीफे की मांग की. हंगामे की बीच सरकार ने 22 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट पास कर दिया. इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई.
Source : News Nation Bureau