मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत द्वारा व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले के कई आरोपियों को क्लीनचिट दिए जाने को लेकर जांचकर्ताओं पर सवाल उठाए और कहा कि इस घोटाले और इसकी जांच से जुड़े 50 लोगों की मौत हो चुकी है, फिर भी इस मामले में कोई दोषी नहीं है क्या? राज्य में शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते हुए व्यापम घोटाले की जांच सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई कर रही है. चार साल से चल रही जांच के दौरान सीबीआई की रिपोर्ट के आधार पर अब तक कई लोगों को अदालत द्वारा बरी किया जा चुका है. इस घोटाले से जुड़े एक मामले में पिछले दिनों पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओ.पी. शुक्ला व कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना सहित 14 लोगों को बरी किया गया है. इसके बाद से राज्य में आरोपियों के बरी होते चले जाने की चर्चाएं जोर पकड़े हुई है.
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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने व्यापम घोटाला मामले में 14 लोगों के बरी होने पर ट्वीट कर कहा, 'क्या जांचकर्ता और आरोपी एक ही उद्देश्य के लिए काम कर रहे हैं? इतना बड़ा घोटाला, इतनी सारी मौतें .. और कोई दोषी नहीं? उल्टा, पैसे देकर भविष्य बनाने का सपना देखने वाले कटघरे में हैं! एमपी सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए.' व्यापम द्वारा मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिले के लिए परीक्षा सहित सभी व्यासायिक परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं. व्यापम में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा 7 जुलाई, 2013 को पहली बार पीएमटी परीक्षा के दौरान हुआ था. उस समय एक गिरोह इंदौर की अपराध जांच शाखा की गिरफ्त में आया. यह गिरोह पीएमटी परीक्षा में फ र्जी विद्याíथयों को बैठाया करता था. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज ने इस मामले को अगस्त, 2013 में एसटीएफ को सौंप दिया था.
इस मामले पर बाद में उच्च न्यायालय संज्ञान लिया और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूíत चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल, 2014 में एसआईटी गठित की गई, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच करता रहा और उधर एक के बाद एक मौतें होती रहीं. इस मामले से जुड़े लगभग 50 लोगों की मौत हो चुकी है. इतनी मौतें क्यों हो रही हैं, यह पता लगाने के लिए समाचार चैनल 'आजतक' के खोजी पत्रकार अक्षय सिंह दिल्ली से पहुंचे. जब उनकी भी मौत हो गई, तब समूचा देश स्तब्ध रह गया. इस घटना पर संज्ञान लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 9 जुलाई, 2015 को यह मामला सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया. सीबीआई ने 15 जुलाई, 2015 से जांच शुरू की, जो अब भी जारी है.
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कांग्रेस ने व्यापम घोटाले को विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया था और सत्ता में आने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया था. दिग्विजय सिंह ने इस ट्वीट से पहले भी मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर कहा था कि यह घोटाला पीएमटी परीक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि नौकरी में भर्ती के लिए व्यापम द्वारा आयोजित परीक्षाओं में भी घोटाला हुआ. वर्तमान में फर्जी तरीके से चयनित लोग नौकरी कर रहे हैं. अभ्यर्थियों को आरोपी नहीं, बल्कि सरकारी गवाह बनाया जाना चाहिए. व्यापम द्वारा आयोजित की जाने वाली पीएमटी प्रवेश परीक्षा के घोटाले में 1450 छात्रों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए और उनके परिजनों को भी आरोपी बनाया गया. इस मामले में लगभग 3000 लोगों को आरोपी बनाया गया. बड़ी संख्या में परीक्षा देने वाले छात्रों और उनके परिजनों पर मामला दर्ज है और उन्हें जेल तक जाना पड़ा है.
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