देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है लेकिन भोपाल देश के उन चुनिंदा स्थानों में है जिसे देश के आजाद होने पर भी आजादी नहीं मिली थी. 1947 में भोपाल के नबाव हमीदुल्लाह ने देश के आजाद होने के बाद भी भोपाल को भारत में विलीन नहीं किया था. नबाव भोपाल को स्वतंत्र रियासत के रूप में रखना चाहते थे. यही कारण था कि 15 अगस्त 1947 केा भोपाल को लोग देश की आजादी की खुशियों को नहीं मना पाये थे. देश के आजाद होने के बाद भोपाल में विलीनीकरण का आंदोलन किया गया था जिसके बाद 1 जून 1949 केा नबाव ने भोपाल का भारत गणराज्य में विलय किया था. इस दिन पूरे भोपाल में तिरंगा फहराया गया था. भोपाल के विलीनीकरण के आंदोलन में भी लोगों को अपनी कुर्बानी देना पड़ी थी. भोपाल रियासत में सीहोर, रायसेन भी आता था. रायसेन में तो इस आंदोलन में चार युवा धन सिंह, मंगल सिंह, विशाल सिंह और किशोर शहीद हुए थे.
आजाद भारत में भोपाल में केवल एक कार्यालय था जो कि नबाव के शासन के अंतगृत नहीं आता था. यह स्थान था जुमेराती का पोस्ट आफिस. यह पोस्ट आफिस सीधे केन्द्र शासन के अंतगृत आता था इस कारण भारी दबाव के बाद नबाव को यहां पर तिरंगा फहराने की अनुमति देना पड़ी.
इसके बाद सरदार वल्लभभाई पटेल के भारी दबाव और भोपाल की आजादी के लिए किए गए आंदोलन के कारण देश आजाद होने के 659 दिन के संघर्ष के बाद भोपाल आजाद हुआ था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी शनिवार केा आजादी के अमृत महोत्सव पर हर घर तिरंगा अभियान का प्रांरभ इस पोस्ट आफिस पर तिरंगा फहराकर किया.
चौहान ने इस अवसर पर कहा कि यह ऐतिहासिक स्थल है जहां आजादी के लिए संघर्ष कर रहे क्रांतिकारियों ने 15 अगस्त 1947 को तिरंगा फहराया था. उन्होंने प्रदेश के हर व्यक्ति से अपने घर और दुकान पर तिरंगा फहराने की अपील की.
HIGHLIGHTS
- 1 जून 1949 को हुआ था भोपाल का विलीनीकरण
- 15 अगस्त 1947 को केवल जुमेराती पोस्ट आफिस पर फहराया गया था तिरंगा
Source : Nitendra Sharma