नेताओं ने लांघी सीमाएं, मध्य प्रदेश की सियासत में 'हेमा मालिनी के गाल और चील-कौवे' की एंट्री

मध्यप्रदेश की सियासत में नेताओं के बयानों के जरिए 'हेमा मालिनी के गाल और चील-कौवे' तक की एंट्री हो गई है.

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Deepak Pandey
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नेताओं ने लांघी सीमाएं, मध्य प्रदेश की सियासत में 'हेमा मालिनी के गाल और चील-कौवे' की एंट्री

गोपाल भार्गव( Photo Credit : (फाइल फोटो))

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मध्यप्रदेश की सियासत में नेताओं के बयानों के जरिए 'हेमा मालिनी के गाल और चील-कौवे' तक की एंट्री हो गई है. नेताओं के बयान तमाम सीमाएं लांघ चले हैं, और वे एक-दूसरे पर हमला करने के लिए उन शब्दों का भी चयन करने से नहीं हिचक रहे, जो आमतौर पर सार्वजनिक तौर पर बोलने से समाज के सभ्य लोग कतराते हैं. पिछले कुछ दिनों में राजनेताओं के लीक से हटकर बयान आए हैं और उन्होंने एक-दूसरे पर हमला करने में किसी भी तरह की मुरब्बत नहीं की है. यह बयान चर्चाओं में तो हैं ही साथ में राजनेताओं के बिगड़ते बोल उन पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं.

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राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटैरिया का कहना है, "जब किसी के पास तथ्य और तर्क नहीं होते हैं, तभी वह मुद्दाविहीन बातें करने लगता है, वर्तमान में राज्य की सियासत में भी यही हो रहा है. दोनों दलों के नेताओं के पास तथ्य और तर्क का अभाव है, लिहाजा वे ऐसे बयान दे रहे हैं, जिससे लोगों का मूल मुद्दों से ध्यान हटे."

राजनेताओं के विवादित बयानों पर गौर करें तो झाबुआ उप-चुनाव को नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भारत-पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के बीच का चुनाव बता दिया. उन्होंने भाजपा उम्मीदवार भानु भूरिया का समर्थन करते हुए कहा, यह चुनाव दो दलों के बीच नहीं है, यह भारत और पाकिस्तान के बीच का चुनाव है, भानु भाई हिंदुस्तान का प्रतिनिधित्व करते हैं और कांतिलाल भूरिया पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करते हैं. कांग्रेस उम्मीदवार का दल ऐसे लोगों का समर्थन करता है जो पाकिस्तान की प्रोत्साहित करते हैं.

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भार्गव के इस बयान ने तूल पकड़ा, निर्वाचन अधिकारी ने थाने में शिकायत की, जिस पर प्रकरण दर्ज हुआ. अब चुनाव आयोग ने भी इस बयान को आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए नोटिस जारी कर हिदायत दी है. भाजपा के नेता के बयान के बाद राज्य सरकार के दो मंत्रियों जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा और लेाक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के अटपटे बयान आ गए. निकले तो थे सड़कों के गड्ढे देखने, मगर उनकी तुलना भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय के गालों से कर डाली तो सड़कों को हेमा मालिनी के गालों जैसा चका-चक करने का दावा भी ठोंक दिया.

इस दौरान शर्मा ने कहा, "ये वशिंगटन और न्यूयॉर्क जैसी सड़कें कैसी थीं?. पानी गिरा जमकर और गड्ढे ही गड्ढे हो गए. कैलाश विजयवर्गीय के गालों जैसी हो गई हैं, आगामी 15-20 दिन में सड़कें हेमा मालिनी के गालों जैसी चकाचक हो जाएंगी." शर्मा ने कहा, "ये वाशिंगटन और न्यूयॉर्क जैसी सड़कें कैसी थीं, पानी गिरा जमकर और गड्ढे ही गड्ढे हो गए. कैलाश विजयवर्गीय के गालों जैसी हो गई है, 15-20 दिन में सड़कें चकाचक हेमा मालिनी के गालों जैसी हो जाएंगी."

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वहीं, लोकनिर्माण मंत्री वर्मा ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री चौहान सड़कों को हेमा मालिनी के गालों जैसा बनाने निकले थे, लेकिन यह सड़कें तो विजयवर्गीय के गालों जैसी हो गई हैं.' राज्य में तबादलों के चल रहे दौर के बीच पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का हमलावर तल्ख बयान आया. उन्होंने कहा, "एक मंत्री कहता है कि ट्रांसफर के रेट इतने हैं तो दूसरा कहता है कि इतने नहीं, इतने हैं. अरे कम से कम ट्रांसफर के रेट तो बैठकर तय कर लो इकट्ठे."

उन्होंने कहा, "यह इतिहास की भ्रष्टतम सरकार है. प्रदेश को चील और कौवों की तरह नोंच-नोंच कर खा रहे हैं. ये क्या मंत्री रहने लायक लोग हैं." राजनेताओं के इन बयानों से इस बात तो साफ हो चली है कि आने वाले दिनों में यह दौर थमने वाला नहीं है. हां, यह कहां जाकर ठहरेगा, इसका अंदाजा लगाना भी आसान नहीं है.

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