केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का देश के अलग-अलग हिस्सों में धरना और प्रदर्शन जारी है तो वहीं मध्य प्रदेश में इन कानूनों को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही आमने-सामने आ गए हैं. भाजपा जहां कानूनों को किसान हित में बता रही है, वहीं कांग्रेस किसान विरोधी.
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का दिल्ली के आसपास बीते 20 दिनों से डेरा है और वे इन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं, साथ ही उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, मगर कोई समाधान नहीं निकल पाया है. केंद्र सरकार और भाजपा इस आंदोलन पर सवाल भी उठा रही है.
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मध्य प्रदेश में भाजपा और प्रदेश सरकार ने किसान कानूनों को किसान हितैषी बताते हुए अभियान शुरू किया है. इस अभियान के तहत जगह-जगह किसान सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं और इन सम्मेलनों में कानूनों की खूबियां बताई जा रही हैं. भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के अलावा केंद्रीय मंत्री मोर्चा संभाले हुए हैं.
चौहान और शर्मा इन कानूनों को किसान की जिंदगी में बदलाव लाने वाला बता रहे हैं. उनका कहना है कि जब अपने उत्पादों की कीमत तय करने का अधिकार उत्पादक को होता है तो किसानों को अपनी उपज का मूल्य तय करने का अधिकार क्यों न हो, किसानों को यही अधिकार दिलाने के लिए कानून लाए गए हैं मगर कांग्रेस और अन्य दलों से जुड़े लोग किसानों के बीच भ्रम फैलाने में लगे हैं. वास्तव में यह राजनीतिक दल किसान विरोधी हैं.
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने भी अब किसानों के समर्थन में सड़क पर उतरने का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष और प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी का कहना है कि किसान आंदोलन को लेकर भाजपा नेताओं ने जो रुख अपनाया है वह दो व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए है. भाजपा नेता किसानों को निठल्ले कह रहे हैं, टुकड़े-टुकड़े गैंग बता रहे हैं. उनके ये बयान शर्मनाक हैं.
वही पूर्व मंत्री पी.सी. शर्मा का कहना है कि कांग्रेस पार्टी आगामी दिनों में किसानों के समर्थन में प्रदेश व्यापी उपवास और धरना प्रदर्शन करेगी. ये तीनों कानून किसान विरोधी हैं और इन्हें रदद किया जाना चाहिए.
राज्य मे किसानों को लेकर दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच शुरु हुई सियासत को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में किसानों का बड़ा वर्ग है, यही कारण है कि दोनों दल किसानों के हित की बात करते हुए सड़क पर उतर रहे हैं. इसकी वजह भी है क्योंकि अब तक राज्य में किसानों का आंदोलन जोर नहीं पकड़ पाया है. छिटपुट तौर पर आंदोलन चल रहा है. भाजपा इसे राज्य सरकार की उपलब्धि मान रही है और इसीलिए कानूनों के समर्थन में किसान सम्मेलन हो रहे हैं. वहीं कांग्रेस को लगता है कि किसानों की बात को उठाना चाहिए, लिहाजा अब वह भी सड़क पर उतरने की तैयारी में है.
Source : IANS