प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 सितंबर को जब नामीबिया से लाये गये 8 चीतों को कूनो के जंगल में छोड़ा था, तब यह तय किया गया था कि 30 दिन बाद इन्हें बड़े बाड़े में छोड़ दिया जायेगा, जिससे ये जंगल के अनुरूप अपने आप को ढाल सकें लेकिन डेढ़ महीने बाद भी इन चीतों को बड़े पिंजरे से निकालने में वन विभाग असमंजस में है. भारत लाने से पहले चीतों को 30 दिन नामीबिया में क्वारंटाइन रखा गया था. लेकिन भारत आने के बाद भी करीब 50 दिन से चीते बड़े पिंजरे में हैं. चीतों को खाने के लिये मीट दिया जा रहा है. लेकिन चीतों के लिए लगातार पिंजरे में रहना भी उचित नहीं है. दरअसल लगातार पिंजरे में रहने से चीतों की शिकार क्षमता पर असर पड़ता है.
एक्सपर्ट भी चीतों को बाहर नहीं छोड़े जाने पर नाराजगी जता रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ वन विभाग का मानना है कि आठों चीते पूरी तरह स्वस्थ हैं. उनकी एक हेल्थ रिपोर्ट आनी बाकी है जिसके बाद उन्हें बड़े बाड़े में छोड़ दिया जायेगा. वहीं वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट का कहना है कि नामीबिया और भारत की अवधि मिला लें, तो चीतों को शिकार किए हुए लंबा समय हो गया है. ऐसे में उनकी शिकार करने की क्षमता प्रभावित हो रही है. चीतों के सर्वाइवल पर पूरी दुनिया की नजरें है ऐसे में वन विभाग चीतों को लेकर सतर्क है. इसी अत्यधिक सतर्कता की वजह से चीतों को बड़े पिंजरे से निकालकर बड़े बाडे़ में छोड़ना चुनौतीपूर्ण है. हालांकि ये देखने वाली बात होगी की इन चीतों को बड़े बाड़े में कब छोड़ा जाता है.
Source : Adarsh Tiwari