मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में हाल ही में हुए शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल गठन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति (NP Prajapati) ने याचिका दायर करते हुए मंत्रिमंडल विस्तार को चुनौती दी है. याचिका में एनपी प्रजापति ने मंत्रिमंडल के विस्तार को नियमों के खिलाफ बताया है. उन्होने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार में नियमों का उल्लंघन हुआ है. पूर्व विधानसभा स्पीकर की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है.
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याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और विवेक तनखा ने दलील दी कि प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार संविधान स्पष्ट उल्लंघन है हुआ. आर्टिकल 32 के तहत दायर याचिका में मुद्दा उठाया गया है कि हाल ही में शिवराज सरकार ने 28 मंत्रियों की नियुक्ति की है, जबकि पूर्व में पहले से ही 6 मंत्री नियुक्त किए गए थे. इस लिहाज़ से मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल की कुल संख्या 34 हो गई है.
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कपिल सिब्बल और विवेक तनखा ने कोर्ट में बताया कि अगर नियम की बात की जाए तो धारा 164-1ए के तहत विधानसभा की कुल सदस्यों के 15 प्रतिशत सदस्य ही मंत्री बनाए जा सकते हैं, जिसका मध्य प्रदेश में कुल आंकड़ा सिर्फ 30 मंत्रियों का होता है. बावजूद इसके चार मंत्री ज्यादा बना दिए गए हैं. याचिकाकर्ता की दलील को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नोटिस जारी कर दिए हैं.