ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में सोमवार को हिंदू पक्ष के हक में फैसला आ गया है. जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने श्रृंगार गौरी में पूजा के अधिकार की मांग को लेकर दायर याचिका को सुनवाई के योग्य माना है. इस पर बीजेपी की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि आज मेरे लिए पितृ पक्ष में महत्वपूर्ण निर्णय सुनने को मिला है कि ज्ञानवापी पर याचिका सुनवाई के योग्य है, ये प्रसन्नता का विषय है. काशी मथुरा अयोध्या हमारे हृदय के विषय हैं.
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उन्होंने कहा कि 1991 के एक्ट का पालन हो रहा है. जब ये विधेयक आया तो मैं इसमें प्रमुख वक्ता थीं. मैंने तब भी कहा था इसमें अयोध्या को जोड़ा गया है. कृपया मथुरा और काशी को जोड़ा जाए, तब ऐसा नहीं होने पर हमने इसका बहिष्कार किया था. मैं चाहती हूं कि ये याचिका शुरुआत है, जब राम मंदिर की बात हुई तो फैसला सबने सुना, आगे भी ऐसा हो.
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने आगे कहा कि मेरी अपील है कि ये जो याचिका है इसपर हमें उत्तेजित नहीं होना है. मुस्लिम और हिंदू समाज में अंतर है. हिंदू समाज देवी-देवताओं के खिलाफ सुन सकता है, लेकिन मुस्लिम अपने नबी के खिलाफ नहीं सुन सकता. इस देश में मुस्लिम बड़ी संख्या में रहते हैं. मेरे पास जो संख्या है उसके हिसाब से वो अल्पसंख्यक नहीं कहलाएंगे, लेकिन वो हैं. मैंने कहा था कि आक्रांताओं की यादें जब तक रहेंगी, तब तक शांति नहीं रह सकतीं. मैं चाहती हूं कि मथुरा का मामला भी सामने आए. ये मामला भी न्यायालय में सुना जाए और उसका भी निर्णय हो.
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उन्होंने आगे कहा कि फिल्मस्टार को पॉलिटिकल कमेंट नहीं करना चाहिए. कई फिल्मस्टार के अंदर नफरत का जहर भरा हुआ है. कहां थे आमिर खान, सलमान खान, शाहरुख खान जैसे आर्टिस्ट जब सर तन से जुदा जैसे नारे लगे. तब इन्हें इस देश में डर नहीं लगा. तब अवॉर्ड वापसी गैंग कहा थी, अब शांत रहना सब लोग, कुछ नहीं बोलना. 90 के दशक में नसरुद्दीन शाह से मैंने बात करने की कोशिश की थी, लेकिन उनके अंदर जबरदस्त नफरत भरी हैं, उनकी आंखें मैं कभी भूल नहीं सकती, ऐसे लोगों की हम फिल्में देखते हैं.