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लकड़ी की गाड़ी पर परिवार को बैठाकर छत्तीसगढ़ ले जा रहे युवक को देख पुलिस का दिल पसीजा

तभी कटनी बायपास बैरियर पर तैनात पुलिस की नजर इन लोगों पर पड़ी तो उन्होंने मानवता दिखाते हुए इस परिवार को पहले तो सेनेटाइज कराया फिर खाना खिलवाया यही नहीं इस लाचार परिवार के लिए एक कार की व्यवस्था कर उन्हें घर के लिए रवाना किया.

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yogesh bhadauriya
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कटनी जिले का मामला( Photo Credit : News state)

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कटनी पुलिस का एक बार फिर मानवीय चेहरा सामने आया है, जहां एक पति यूपी के आजमगढ़ से अपनी घायल पत्नी को लकड़ी की बनी हाथ गाड़ी में बैठाकर बच्चों सहित छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के लिए निकला था. तभी कटनी बायपास बैरियर पर तैनात पुलिस की नजर इन लोगों पर पड़ी तो उन्होंने मानवता दिखाते हुए इस परिवार को पहले तो सेनेटाइज कराया फिर खाना खिलवाया यही नहीं इस लाचार परिवार के लिए एक कार की व्यवस्था कर उन्हें घर के लिए रवाना किया. बताया जा रहा है युवक अपनी घायल पत्नी को लकड़ी की बनाई हुई हाथ गाड़ी में बैठाकर आ रहा था, पत्नी के एक पैर में प्लास्टर बंधा हुआ था जिसे देखकर पुलिस का मन भी पसीज गया. उन्होंने इस परिवार को पहले तो खाना खिलवाया और उनसे पूछा कि उन्हें कहां जाना है इसके बाद मदद करते हुए पुलिस ने एक कार में उनके परिवार को बैठाकर बिलासपुर जाने का प्रबंध किया, इस पूरे मामले में माधवनगर थाना के एक आरक्षक विजेंद्र तिवारी ने अहम भूमिका निभाई है.

पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि यूपी के आजमगढ़ से आ रहे युवक का नाम राकेश कोत्रे था जो अपनी पत्नी रामेशवरी कोत्रे और दो छोटे बच्चों के साथ अपने घर जा रहा था. उसने बताया कि उसका परिवार बिलासपुर जिला के ग्राम दलदली का रहने वाला है. वह आजमगढ़ में काम करता था लेकिन कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन घोषित कर दिया गया उनका काम-धंधा बंद हो गया. जिसके बाद उन लोगों ने अपने घर छत्तीसगढ़ जाने का फैसला किया.

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बतादें माधवनगर थाने पर पदस्थ प्रधान आरक्षक विजेंद्र तिवारी ने बताया की मेरी ड्यूटी बायपास में लगाई गई थी जहां मुझे सड़क पर एक परिवार जाता दिखा जिसमें घर का मुखिया हाथ-गाड़ी में अपने परिवार को खींच रहा था, जिस पर उसकी पत्नी और दो बच्चे बैठे हुए थे. महिला का पैर टूटा हुआ था पैर में प्लास्टर चढ़ा देखकर मुझे बहुत बुरा लगा. मैंने उनके पास जाकर पूछा तो उन्होंने बताया कि हम यूपी से आ रहे हैं उन्हें कई दिनों तक पैदल चलना पड़ा है. कभी हमें साधन मिलता तो कभी नहीं मिला जिस कारण हम लोग हाथ की बनी गाड़ी से ही आगे का रास्ता तय करने का सोचा ओर निकल पड़े.

युवक की आपबीती सुन पूरे परिवार को सेनेटाइज करते हुए उनके लिए भोजन का प्रबंध किया गया. उनके पति ने अपना नाम राजेश और उनकी पत्नी ने अपना नाम रामेश्वरी बताया है उनके दो छोटे-छोटे बच्चे थे वही विजेंद्र तिवारी ने आगे बताया कि उन लोगों ने अपने घर बिलासपुर जाने की इच्छा जताई तो मैंने कहा कि आप इस ठेला गाड़ी से नहीं जाएंगे. मैं आपके लिए कोई दूसरी व्यवस्था कर रहा हूं. कुछ समय बाद मैंने उनको वाहन मुहैया कराया ताकि वो सुरक्षित घर जा सकें. फिलहाल पुलिस की इस मानवता भरी संवेदना का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गया है जिसकी लोग खूब सराहना कर रहे हैं.

Source : News Nation Bureau

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