मानसून का इंतजार सभी ब्रेसब्री से कर रहे थे, ताकि उन्हे गर्मी से राहत मिल सके. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के वासी भी बारिश को लेकर कामना कर रहे थे. इसी बीच शुकवार को हुई तेज बारिश ने जहां लोगों को गर्मी और उमस से राहत दी, तो वही शहर की सच्चाई को भी सबके सामने ला दिया. तेज बारिश के चलते शहर में कई जगह जहां जल भराव की स्थिति बन गई तो कई जगह की सड़के ही उखड़ गई.
भोपाल में रंगमहल चौराहे की सड़क उखड़ी, केबल लाइन आई बाहर
भोपाल में हुई ढाई इंच की बारिश के बाद रंगमहल चौराहे की सड़क ने सभी को चौंका दिया. शहर के बीचों बीच बने इस चौराहे की सड़के उखड़ गई. जबकि ये पॉश इलाका है और न्यू मार्केट में प्रतिदिन हजारों लोग शॉपिंग करने आते है. दिन के समय हुई बारिश के बाद इस चौराहे पर तीन जगह सड़कें उखड़ गई तो एक जगह सड़क टीले के समान उठ गई. बारिश से उखड़ी सड़क के अंदर डाली गई प्लास्टिक की केबल लाइन तक बाहर आ गई.
सड़क उखड़ने के बाद बनी जाम की स्थिति
बारिश के चलते जैसे ही सड़क उखड़ी क्षेत्र में कुछ समय के लिए जाम की स्थिति बन गई. क्योकि ये चौराहा शहर को सभी जगह से जोड़ता है. सड़क के उखड़ जाने के बाद वाहनों की गति पर भी प्रभाव पड़ा। हालांकि यातायात पुलिस ने जाम की स्थिति से लोगों को निजात दिलवाया.
आखिर किसकी सड़क ?
सड़क उखड़ने की सूचना जैसे ही नगर निगम के अधिकारियों को लगी तुरंत ही स्पॉट का मुआयना करने के लिए अधिकारी आ गए. मुआयना करने के बाद अधिकारियों ने अपना पल्ला ये कहकर झाड़ लिया कि ये सड़क नगर निगम की नहीं, पीडब्यूडी विभाग की है. जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क का निर्माण स्मार्ट सिटी ने किया है, इसलिए ये सड़क स्मार्ट सिटी की है. ऐसे में अब नगर निगम, पीडब्यूडी और स्मार्ट सिटी में से ये पता नही चल पा रहा है कि आखिर सड़क किसकी है और इसकी मरम्मत कोन कराएगा.
हर साल बनती है यही स्थिती
रहवासियों का कहना है कि यह सड़कों के उखड़ने की स्थिति हर साल बनती है, लेकिन इसकी ठोस व्यवस्था नहीं की जाती. हर साल बारिश के बाद सड़क का निर्माण कर दिया जाता है और जब बारिश आती है, सड़के फिर उखड़ जाती हैं.
जनता के टैक्स के पैसे का जिम्मेदार कौन?
अब सवाल यही उठता है कि सरकार जनता से टैक्स लेकर उन्हें सुविधा उपलब्ध कराने की बात करती है. टैक्स की जो राशि ली जाती है. उससे सड़कें, नालियां, आदि का निर्माण कराया जाता है. लेकिन जब सड़को का निर्माण कराया जाता है, तो आखिर शासकीय इंजीनियर किस तरह से निरिक्षण करते हैं, ये भी समझ से परे है. क्योंकि निरिक्षण करने के बाद गुणवत्ता की रिपोर्ट भी दी जाती है. अगर इस सड़क की गुणवत्ता की रिपोर्ट ठीक दी गई है, तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार का कोष और और जनता के टैक्स का जिम्मेदार कौन है.
आगे भी बन सकते है ऐसे हालात
भोपाल में पहली बारिश में ये स्थिती हो गई है. जबकि अब तो बारिश की शुरूआत होनी है. ऐसे में अगर शहर में इसी तरह से हालात बनेंगे, तो जनता परेशानी होती ही रहेगी. जबकि प्रशासन पहले ही बोल चुका है कि इस बार बारिश के सीजन में किसी भी तरह की परेशानी नही आयेगी. अब देखना होगा कि प्रशासन के दावे इस बार बारिश में कितने सटीक बैठते है.