शहर में कुछ दिनों पहले फैली अशांति के बीच एक ऐसी खबर भी है, जो एक ओर दिल को सुकून देगी, तो दूसरी तरफ सोचने पर भी मजबूर करेगी. जिस दिन शहर में अशांति फैली थी, उस दिन अब्दुल रफीक का घर प्रशासन ने तोड़ दिया था. ये घर टूटने से रफीक और उसके परिवार के 19 सदस्य बेघर हो गए थे. इस परिवार को उनकी पड़ोसी मीरा बाई ने पनाह दी और अपने घर के एक कमरे में इन 19 सदस्यों के रहने का इंतजाम किया. मीरा बाई का कहना है, उस दिन जो हुआ वो ठीक नहीं हुआ. गौरतलब है कि रफीक दैनिक वेतनभोगी हैं और ये घर उन्होंने 35 साल पहले बनाया था.
26 दिसंबर को शहर क बेगम बाग क्षेत्र का माहौल गर्म था. दरअसल बीती रात कुछ धर्मपंथी संगठनों की रैली पर पत्थर बरसाए गए थे. इसके बाद नगर निगम और पुलिस बल पत्थर बरसाने वाले आरोपियों के घर के अतिक्रमण को तोड़ने गया था. इस बीच हजारों की संख्या में भीड़ इकट्ठा हो गई और इस कार्रवाई का विरोध होने लगा. कुछ देर बाद दबाव के चलते पुलिस और नगर निगम की टीम ने घरों को तोड़ने का काम शुरू कर दिया.
गौरतलब है दान राशि इकट्ठा करने के लिए एक धर्मपंथी संगठन की रैली आयोजित की गई थी. रैली शहर के अन्य क्षेत्रों से निकलकर बेगम बाग पंहुची ही थी कि कुछ घरों से उस पर पत्थर बरसने लगे. कोई कुछ समझ पाता इससे पहले ही कई लोगों चोट लग चुकी थी. घटना की सुचना मिलते ही भारी पुलिस बल क्षेत्र में तैनात कर दिया गया था. पुलिस ने इस मामले में आधा दर्जन से अधिक आरोपियों को हिरासत में लिया था.
आरोपियों की पहचान होते ही पुलिस और नगर निगम की टीम ने घरो कों चिन्हित किया और उन्हें तोड़ने की योजना बनाई. लेकिन, जैसे ही पुलिस फोर्स बेगम बाग क्षेत्र में पंहुची वैसे ही उसे भारी विरोध का सामना करना पड़ा. देखते ही देखते हजारों की भीड़ सड़क पर उतर आई.
Source : News Nation Bureau