मध्य प्रदेश की सियासत में हलचल पैदा करने वाले हनीट्रैप मामले में सोमवार को इंदौर उच्च न्यायालय की युगलपीठ ने पकड़ी गई महिलाओं के पास से मिले इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की जांच हैदराबाद की प्रयोगशाला में कराए जाने का निर्देश दिया और विशेष जांच दल (एसआईटी) के प्रमुख को लगातार बदले जाने पर नाराजगी जताई. न्यायाधीश एस.सी. शर्मा और शैलेंद्र शुक्ला की युगलपीठ ने सोमवार को हनीट्रैप मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग और बार-बार एसआईटी प्रमुख बदले जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की.
अदालत से जुड़े सूत्रों के अनुसार, एसआईटी ने आरोपी महिलाओं से सीडी, मोबाइल फोन, पेनड्राइव सहित काफी सामान जब्त किया था. इनकी जांच पुलिस ने अपनी ही प्रयोगशाला में करवाई है. इसे युगलपीठ ने अनुचित मानते हुए जब्त किए गए सभी इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजने का निर्देश दिया.
युगलपीठ ने इस मामले की पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार से एसआईटी प्रमुख बदले जाने का कारण पूछा था, जिसका जवाब बंद लिफाफे में पेश किया गया, मगर जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया. इस पर न्यायाधीशों ने नाराजगी जताई. साथ ही निर्देश दिया कि जांच अधिकारी को न्यायालय की अनुमति के बिना न बदला जाए. मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी.
हनीट्रैप का मामला उजागर होने और पांच महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद सरकार ने मामले की जांच एसआईटी को सौंपी है. एसआईटी प्रमुख सबसे पहले आईपीएस डी़ श्रीनिवास वर्मा को बनाया गया था, लेकिन उन्होंने खुद ही इस पद को छोड़ दिया था. इसके बाद डीजीपी ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजीव शमी को प्रमुख नियुक्त किया, फिर उन्हें भी हटाकर विशेष पुलिस महानिदेशक राजेंद्र कुमार को यह जिम्मेदारी सौंपी गई.
इस मामले का खुलासा इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह से महिलाओं द्वारा ब्लैकमेलिंग की धमकी देकर तीन करोड़ रुपये मांगे जाने की शिकायत के बाद हुआ था. भोपाल और इंदौर पुलिस ने कार्रवाई कर ब्लैकमेलिंग करने वाली पांच महिलाओं- श्वेता स्वप्निल जैन, श्वेता विजय जैन, आरती दयाल, बरखा सोनी और मोनिका यादव को गिरफ्तार किया था. पांचों अभी जेल में हैं.
Source : आईएएनएस