प्रदेश के झाबुआ जिले में पत्नी को तत्काल तीन तलाक देने पर पति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. यह मामला तब सामने आया है, जब तत्काल तीन तलाक को गैरकानूनी बताते हुए केंद्र सरकार एक महीने पहले इसके खिलाफ अध्यादेश ला चुकी है. अध्यादेश में तत्काल तीन तलाक को दंडनीय अपराध बताया गया है.
पीड़ित महिला ने झाबुला जिले के मेघनगर थाने में पति आरिफ हुसैन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. मेघनगर की शेरानी मोला की रहने वाली सलमा बानो की दस साल पहले आरिफ से शादी हुई थी. आरिफ और सलमा को एक बेटा और एक बेटी हैं. मेघनगर के स्टेशन इंचार्ज ने बताया कि सलमा की शिकायत पर पुलिस ने उसके पति आरिफ को आईपीसी की धारा 323 और 498 के तहत गिरफ्तार कर लिया है.
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सलमा ने बताया कि मोटापा के चलते पति आरिफ उसे नापसंद करता था और इसलिए उसने तलाक दे दिया. मोटापा के चलते वह हमेशा दुर्व्यवहार करता था और मजाक उड़ाता था. शादी के बाद से आरिफ सलमा की पिटाई भी करता था. सलमा ने बताया कि उसकी हरकतों से वह तंग आ गई थी, लेकिन बच्चों के चलते बर्दाश्त करती रही, लेकिन जब उसने तत्काल तीन तलाक दे दिया तो उसने पुलिस में शिकायत की.
अध्यादेश के मुख्य बिंदु :
- इसमे अपराध कॉग्निजेंस तभी होगा जब महिला खुद शिकायत करेगी
- पड़ोसी नही कर पाएंगे शिकायत
- अगर पत्नी चाहे तो समझौता हो सकता है
- पत्नी का पक्ष सुनने के बाद मजिस्ट्रेट बेल दे सकता है
- नाबालिग बच्चों की कस्टडी मां को मिलेगी
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था सुनवाई में ?
सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई करते हुए कहा था कि किसी भी कानून की गैर मौजूदगी में कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा करने को लेकर शीर्ष न्यायालय द्वारा तैयार विशाखा दिशा-निर्देशों का जब रोहतगी ने संदर्भ दिया, तो न्यायमूर्ति कुरियन ने कहा कि यह कानून का मामला है न कि संविधान का.
तीन तलाक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता की तरफ से न्यायालय में पेश हुईं वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि न्यायालय मामले पर पिछले 67 वर्षो के संदर्भ में गौर कर रहा है, जब मौलिक अधिकार अस्तित्व में आया था न कि 1,400 साल पहले जब इस्लाम अस्तित्व में आया था.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की ओर से तीन तलाक पर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे असंवैधानिक करार दे दिया था।। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत बताते हुए संविधान के आर्टिकल 14 का हनन बताया था.
Source : ANI