मध्य प्रदेश में ऐसे कई मदरसे हैं, जो मदरसा बोर्ड से पंजीकृत नहीं है और धड़ल्ले से चल रहे हैं. लेकिन, मध्य प्रदेश बाल अधिकार आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अब अवैध मदरसों पर कार्रवाई का मन बनाया है. मध्य प्रदेश में बाल अधिकार संरक्षण आयोग इन दिनों ऐसे विषय पर काम कर रहा है, जिसके बारे में सभी को जानना चाहिए. दर्शन बाल अधिकार आयोग ने सचिव मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड को एक पत्र लिखा है. पत्र ने पूरे मध्य प्रदेश में खलबली मचा दी है.
पत्र के माध्यम से बाल अधिकार आयोग ने यह बताया है कि मध्य प्रदेश में ज्यादातर मदद से अवैध रूप से संचालित है और इन मदरसों में किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है, क्योंकि यह सिर्फ एक कमरे में चल रहे हैं. ऐसे में सचिव मदरसा बोर्ड मध्य प्रदेश से बाल अधिकार आयोग ने प्रदेश में मदरसों कि नाम सहित वृक्ष जानकारी एक हफ्ते के भीतर मांगी है.
मदरसों को लेकर मध्य प्रदेश में गरमाई राजनीति, भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में ऐसे कई मदरसे हैं, जो सिर्फ एक कमरे में संचालित किए जा रहे हैं और इनके पास किसी भी प्रकार की परमिशन नहीं है. शायद यही वजह है कि आप यह मदरसे बाल अधिकार आयोग की नजर में है. इस मामले में पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर का कहना है कि जाहिर सी बात है, अगर कहीं मध्य प्रदेश में इस तरह की मदरसे पाए जा रहे हैं, जो अवैध रूप से संचालित हैं और वहां पर गतिविधियां सही नहीं है. उन पर रोक लगाना चाहिए.
वहीं, बीजेपी विधायक और हिंदूवादी नेता रामेश्वर शर्मा का कहना है कि बाल अधिकार आयोग एक संवैधानिक संस्था है और अगर वह अपनी इस तरह की रिपोर्ट पेश कर रही है, तो इसमें सरकार को आगे आकर कार्रवाई करनी चाहिए
इधर, कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने मध्य प्रदेश में चल रहे सभी मदरसों को वैध बताया है. आरिफ मसूद का कहना है कि सभी मदरसे मध्य प्रदेश में मदरसा बोर्ड के द्वारा संचालित किए जाते हैं, कुछ मदरसे सरकार से ग्रांड प्राप्त करते हैं, इसलिए उन्हें गिना जाता है, लेकिन कुछ मदरसे चंदे से चलते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि वे अवैध है, क्योंकि हिंदुस्तान में सभी को अपने धर्म का प्रचार करने की आजादी है.
मदरसों के बचाव में अल्पसंख्यक आए सामने
इस मामले में मुस्लिम त्योहार कमेटी के अध्यक्ष ओसाफ शाहमिरी खुर्रम का कहना है कि मदरसे राज्य सरकार के द्वारा मदरसा बोर्ड संचालित करता है और अगर इस तरह से बताया जा रहा है कि मदरसे अवैध है तो इसके पीछे शासन ही दोषी है. या फिर कुछ लोग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि को धूमिल करने के लिए इस तरह से मदरसों का नाम ले रहे हैं, जबकि मदरसों को मदरसा बोर्ड से ग्रांड मिलता है तो कुछ मदरसे चंदे से चलते हैं.
कई जगह एक ही कमरे में चल रहे हैं मदरसे
मध्य प्रदेश के मदरसों की हकीकत अगर आप देखेंगे तो आपको खुद लगेगा कि आखिर एक कमरे के अंदर मदरसे कैसे संचालित हो रहे हैं. क्या 1 कमरों में मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को वह तमाम सुविधाएं मिल पाती हैं या नहीं, यह आज भी बच्चों की तालीम पर सवाल बना हुआ है.
Source : Jitendra Sharma