15 अगस्त यानि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हर साल बहादुर पुलिसकर्मियों को उनके कामों के लिए सम्मानित किया जाता है. लेकिन इस सम्मान से मध्य प्रदेश की पुलिस पिछले 5 सालों से दूर हैं. यानि कि एमपी पुलिस ने ऐसा कोई इतना बड़ा काम नहीं किया है कि उन्हें वीरता पुरस्कार दिया जाए. बता दें कि हर साल देश के राष्ट्रपति 15 अगस्त के मौके पर वीरता पदक से देश के बहादुरों को सम्मानित करते हैं.
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पिछले 5 सालों से मध्य प्रदेश पुलिस को वीरता का पदक नहीं मिला है. हर बार पुलिस मुख्यालय से तमाम घटनाओं और तमाम मामलों को लेकर वीरता पदक के लिए नामों को भेजा जाता है. लेकिन इन नामों का सिलेक्शन हर साल नहीं हो पाता है. इस साल भी गृह मंत्रालय की तरफ से जिन नामों का ऐलान किया गया है उनमें वीरता पदक लेने वाला एक भी अधिकारी शामिल नहीं है. पुलिस मुख्यालय को सिर्फ विशिष्ट सेवा और सराहनीय सेवाओं के लिए पदक दिया गया है.
गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति के पुलिस पदक के नामों का ऐलान किया है. इनमें प्रदेश के 20 पुलिस अधिकारियों को राष्ट्रपति का विशिष्ट और सराहनीय सेवा के लिए पदक मिलेगा. डीजीपी ने इन सभी पुलिस अधिकारी कर्मचारियों को मेडल मिलने पर बधाई दी है. यह मेडल अगले साल स्वतंत्रता दिवस पर अलंकरण समारोह के दौरान दिया जाएगा.
बता दें कि इस साल स्वतंत्रता दिवस पर देशभर के विभिन्न पुलिस और अर्धसैनिक बलों के कुल 926 अधिकारियों को प्रतिष्ठित पुलिस पदक के लिए चुना गया है. दिल्ली पुलिस के दिवंगत निरीक्षक मोहन चंद शर्मा का नाम वीरता पदक की सूची में छठी बार शामिल किया गया है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में तैनात शर्मा 2008 के बाटला हाउस एनकाउंटर के दौरान शहीद हो गए थे. पुलिस अधिकारी को मरणोपरांत 26 जनवरी, 2009 को भारत के सर्वोच्च शांति काल के अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.
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इस वर्ष वीरता के लिए पुलिस पदक के लिए चुने गए 215 कर्मियों में जम्मू-कश्मीर पुलिस के 81, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 55, उत्तर प्रदेश पुलिस के 23, दिल्ली पुलिस के 16, महाराष्ट्र पुलिस के 14, झारखंड पुलिस के 12 जवान शामिल हैं. इसके अलावा असम पुलिस से पांच, अरुणाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ पुलिस से तीन-तीन, तेलंगाना पुलिस से दो और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से एक जवान के नाम पुरस्कार के लिए शामिल किए गए हैं.