कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल कर दिया. इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता सिंधिया के साथ मौजूद रहे. सिंधिया शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष वी.डी. शर्मा के अलावा भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ विधानसभा परिसर पहुंचे. सिंधिया ने राज्य से राज्यसभा के लिए नामांकन भरा. इससे पहले सिंधिया ने अपनी बुआ और पूर्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के निवास पर पहुंचकर उनसे मुलाकात की. इसके साथ ही उन्होंने पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के आवास पर दोपहर का भोजन किया.
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सिंधिया ने मंगलवार को कांग्रेस की प्राथमिकी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और बुधवार को वह भाजपा में शामिल हो गए. इसके बाद भाजपा ने सिंधिया को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया था. सिंधिया गुरुवार को भोपाल पहुंचे तो भाजपा की ओर से उनका जोरदार स्वागत किया गया. कांग्रेस में लगभग 18 साल बिताने के बाद सिंधिया भाजपा में आए हैं. भाजपा ने सिंधिया को अपने परिवार का सदस्य बताते हुए उनकी घर वापसी पर स्वागत किया. सिंधिया कांग्रेस में रहते हुए सांसद बने और केंद्र में मंत्री भी रहे. सिंधिया ने अपने पिता माधवराव सिंधिया के असमय निधन के बाद 2001 में राजनीति में प्रवेश किया था. तिरंगा दुशाला हमेशा गले में डाले रहने वाले सिंधिया के गले में अब भगवा दुशाला नजर आने लगा है.
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद उनके समर्थक 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है. इन विधायकों में से 19 बैगलुरू में हैं. इनके इस्तीफे की मूल प्रति भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा अध्यक्ष एन. पी. प्रजापति को सौंपा है.
ज्ञात हो कि बेंगलुरू गए मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, तुलसी सिलावट, प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसौदिया के अलावा विधायक हरदीप सिंह, जसपाल सिंह जज्जी, राजवर्धन सिंह, ओपीएस भदौरिया, मुन्ना लाल गोयल, रघुराज सिंह कंसाना, कमलेश जाटव, बृजेंद्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़, गिरराज दंडौतिया, रक्षा संतराम सिरौनिया, रणवीर जाटव, जसवंत जाटव के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष के पास भेजे गए हैं. इसके बाद तीन और विधायक बिसाहू लाल सिंह, एंदल सिंह और मनोज चौधरी के भी इस्तीफे भी भेजे जा चुके हैं.
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कमलनाथ सरकार को 22 विधायकों द्वारा मुश्किल में डालने का यह दूसरा हिस्सा है. इससे पहले 10 विधायकों को प्रलोभन देने का आरोप लगा था. तब इन विधायकों को सुरक्षित लाने की बात कही गई थी. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सीधे तौर पर भाजपा पर खरीद फरोख्त का आरोप लगाया था. यह बात अलग है कि किसी भी विधायक ने लौटने पर भाजपा द्वारा बंधक बनाने और प्रलोभन देने के आरोप को नकारा था.
Source : News Nation Bureau