मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा क्षेत्रों में मतगणना का दौर जारी है. शुरुआत में जिन 20 सीटों के रुझान आए हैं, उनमें से 17 पर भारतीय जनता पार्टी आगे है और 9 पर कांग्रेस आगे है, जबकि बहुजन समाज पार्टी दो सीट पर बढ़त बनाए हुए है. भारत निर्वाचन आयोग की साइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, सभी 28 सीटों पर मतगणना जारी है. हालांकि सभी 28 सीटों के रुझान सामने आ चुके हैं, इनमें बीजेपी बढ़त बनाए हुए है और लगातार सिलसिला बढ़त का जारी है.
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यह परिणाम न केवल प्रदेश की बीजेपी नीत सरकार के भाग्य का फैसला करेंगे, बल्कि प्रदेश के तीन क्षत्रपों- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनीतक भविष्य पर भी असर डालेंगे. लेकिन अब तक के रुझानों से यह साफ हो गया कि मध्य प्रदेश के कमलनाथ पर ज्योतिरादित्य सिंधिया भारी पड़े हैं. रुझानों से यह माना जा सकता है कि मध्य प्रदेश की शिवराज की सरकार ही रहेगी, जबकि कमलनाथ को वहां की जनता ने वापसी की मौका नहीं दिया है.
शिवराज चौहान के लिए बहुमत के 115 के जादुई आंकड़े पर पहुंचना आसान है. कमलनाथ को सदन में बहुमत के जादुई आंकड़े पर पहुंचने के लिए सभी 28 सीटों को जीतने की जरूरत है. बीजेपी को इस आंकड़े को पाने के लिए 8 सीट की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को सभी 28 सीटें जीतना जरूरी है. लिहाजा अब तक के रुझानों के बाद शिवराज सिंह चौहान के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी राहत ली होगी.
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इस बात का उल्लेख करना भी जरूरी है कि मध्य प्रदेश में जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, उनमें से अधिकतर सीटें ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र में हैं, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ माना जाता है. कभी कमलनाथ के हमसाथी रहे सिंधिया की वजह से ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरी थी. एक बार फिर सिंधिया की वजह से ही कमलनाथ को सत्ता से बाहर रहना पड़ सकता है. इसके अलावा बीजेपी की जीत से ज्योतिरादित्य सिंधिया की मध्य प्रदेश सरकार में साख बढ़ जाएगा और साथ ही वह केंद्र की मोदी सरकार का हिस्सा भी बन सकते हैं.
बीजेपी में आने के बाद सिंधिया इस साल जून में मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य बने हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी में आने के बाद से ही पूर्व में केंद्रीय मंत्री रह चुके सिंधिया की मोदी सरकार में भी मंत्री बनने की महत्वाकांक्षा है. तो उधर, मध्य प्रदेश में नतीजों के बाद कांग्रेस को अगर बहुमत नहीं मिलता है तो कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ सकती है. वह इस आंकड़े तक नहीं पहुंच पाते, तो पार्टी में चल रहा विरोध का सुर और तेज हो सकता है. उन्हें आने वाले समय में पार्टी नेताओं से अनेकों मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
Source : News Nation Bureau