मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार द्वारा माफियाओं के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम के बीच बीजेपी नेताओं की भी कुंडली बनाई जा रही है. उन नेताओं के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है, जो गलत गतिविधियों में लिप्त लोगों को संरक्षण देते हैं या जिनका किसी भी तरह के अनैतिक कारोबार से नाता है. राज्य में सत्ता परिवर्तन को एक साल पूरा हो चुका है, कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने बीते दो माह से विभिन्न माफियाओं के खिलाफ अभियान चला रखा है. मिलावटखोरों के खिलाफ 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान चल रहा है तो दूसरी ओर भूमाफियाओं के कब्जों से जमीनें मुक्त कराई जा रही हैं. दूसरी ओर, सरकार की नजर अब उन लोगों पर है जो राजनीतिक रसूख रखते हैं और अपने प्रभाव से कारोबार जमाए हुए हैं.
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सूत्रों की मानें तो राज्य के अलग-अलग हिस्सों में सक्रिय राजनीतिक रसूखदारों की कुंडली जुटाई जा रही है. प्रशासन को ऐसे लोगों के बारे में आंकड़े जुटाने को कहा गया है. प्रारंभिक तौर पर जो जानकारी सामने आई है, वह बताती है कि सरकार ने अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों की कुंडली तैयार कर ली है. इन लोगों पर कार्रवाई कभी भी हो सकती है. इनमें अधिकांश लोग बीजेपी से जुड़े हुए हैं. सूत्रों का दावा है कि बीजेपी के कई नेता सरकार को हमेशा अस्थिर करने की कोशिश करते रहते हैं. इन पर लगाम कैसे लगाई जाए, इसके लिए खास रणनीति पर सरकार काम कर रही है. सरकार से जुड़े लोग मानते हैं कि जब विरोधी दल के नेताओं का सारा ब्यौरा सरकार के पास होगा तो ऐसे लोगों पर लगाम आसानी से कसी जा सकेगी.
कांग्रेस इस बात को नकार रही है कि यह कार्रवाई बीजेपी के खिलाफ है. प्रदेश प्रवक्ता और मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष सैयद जाफर का कहना है कि राज्य की कमलनाथ सरकार माफियाओं को खत्म करना चाहती है, और इसके लिए अभियान जारी है. उन्होंने कहा, 'जहां तक सूची बनाए जाने की बात कही जा रही है तो इसमें किसी का नाम पार्टी के आधार पर शामिल नहीं किया गया है, बल्कि जो गलत है उन्हें खोजा जा रहा है, उनमें कई कांग्रेस के भी हो सकते हैं. कार्रवाई तो उन लोगों पर होगी जो गलत कामों में लिप्त हैं.'
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बीजेपी प्रवक्ता नरेंद्र शिवाजी पटेल का कहना है कि किसी भी माफिया के खिलाफ होने वाली कार्रवाई को बीजेपी का समर्थन है. मगर सरकार को यह कार्रवाई निष्पक्षता के आधार पर करनी चाहिए. इसमें राजनीतिक विद्वेष नहीं होना चाहिए, कहीं ऐसा न हो कि यह कार्रवाई भटककर अपने विरोधियों के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल होने लगे. वहीं, सरकार को उन वचनों को पूरा करना चाहिए जो उन्होंने चुनाव के समय किए थे, तो ज्यादा बेहतर होगा.
सरकार ने सभी जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ कांग्रेस के कई नेताओं को अवैध कारोबार में लिप्त लोगों का रिकार्ड खंगालने के निर्देश दिए जा चुके हैं. इसका असर भी दिखने लगा है. सागर जिले में तो माफिया की शिकायत संबंधी प्रशासन ने पेटी तक लगा दी है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के काम करने की शैली धीरे-धीरे बदल रही है, वह आक्रामक हो रहे हैं. पहले उन्होंने पार्टी के भीतर की गुटबाजी को खत्म किया, फिर प्रशासनिक स्थिति में सुधार लाने के प्रयास किए, सरकार स्थिरता की ओर बढ़ी तो उन्होंने माफियाओं के खिलाफ मुहिम चलाई और अब उनकी नजर सियासी रसूखदारों पर है. उन्होंने कहा कि इससे बीजेपी ही नहीं, कांग्रेस के नेताओं पर भी वह नकेल कसेंगे, क्योंकि कई नेताओं के संरक्षण में अवैध काम करने वाले पनपे हैं, इससे इनकार नहीं जा सकता.
Source : IANS