झाबुआ जिले के भेरूघाट थांदला थाने के अंतर्गत कमल सिसोदिया का 2003 में इंदौर एसटीएफ ने एनकाउंटर कर दिया था. लेकिन 16 साल बाद भी इस एनकाउंटर से सच्चाई का पर्दा नहीं उठा. बताया जाता है कि इस एनकाउंटर को किसी और ने नहीं बल्कि वर्तमान में मुख्यमंत्री के ओएसडी और उस समय सांसद कांतिलाल भूरिया के खास रहे प्रवीण कक्कड़ ने एसटीएफ में रहते हुए किया था. एनकाउंटर के बाद प्रवीण कक्कड़ ने अपने रूतबे से इतना पर्दा डलवा दिया कि आज भी कमल सिसोदिया का परिवार न्याय के लिए लड़ रहा है.कमल सिसोदिया एनकाउंटर 2003 का सबसे चर्चित एनकाउंटर था. जब इन्दौर एसटीएफ में पदस्थ रहे प्रवीण कक्कड़ के द्वारा झाबुअ में भेरूधाट में आकर कमल सिसोदिया का एनकाउंटर कर दिया था. इसकी खबर झाबुआ पुलिस को सुबह में मिली थी. एनकाउंटर के बाद कमल सिसोदिया की पत्नी कल्पना उर्फ चंचल सिसोदिया ने अरोप लगाया था कि उसके पति को लीमडी के ढाबे से पकड़ कर लाया गया और धार कांग्रेस के नेता बालमुकुंद गौतम के इशारों पर उनके पति की हत्या कर दी गई थी. लेकिन पुलिस ने इस हत्या को एनकाउंटर बना दिया.
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प्रवीण कक्कड़ शुरू से ही कांग्रेसी नेताओं से रिश्ते को लेकर चर्चा में रहे हैं. इस पूरे मामले में जब भी कल्पना सिसोदिया ने जांच के लिए आवेदन दिया, लेकिन जांच को दबा दी गई. कल्पना सिसोदिया ने अपने पति की हत्या की जांच करवाने के लिए दिल्ली गृह मंत्रालय से लेकर प्रदेश की उमा सरकार हो या शिवराज की सरकार सब से गुहार लगायी. प्रवीण कक्कड़ के चलते किसी भी सरकार ने कल्पना सिसोदिया की गुहार नहीं सुनी.
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2012 में जब झाबुआ पुलिस अधीक्षक कष्णवेणी देसावतु रही तो उन्होंने इस पूरे मामले की जांच की. लेकिन इस जांच को भी दबा दिया गया और आखिर कर कल्पना को आज तक न्याय नहीं मिला. प्रवीण कक्कड़ पद और पैसा दोनों में सरकार पर हावी था. इस पूरे मामले में उस समय सांसद कांतिलाल भूरिया का नाम भी उछला था. बाद में यही प्रवीण कक्कड़ कांतिलाल भूरिया के ओएसडी भी बन गए.
Source : News Nation Bureau