मध्य प्रदेश में अवैध रेत खनन के मामले में कमलनाथ सरकार के एक मंत्री और मंत्री के गृह जनपद के दो विधायक आमने-सामने आ गए हैं. मंत्री ने पुलिस संरक्षण में अवैध खनन और परिवहन का आरोप लगाया है. इस पर विधायकों ने मंत्री को ही नसीहत दे डाली है. राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने चार दिन पहले कहा था कि भिंड और दतिया जिले में चल रहे रेत के अवैध खनन और परिवहन को उनकी सरकार रोकने में नाकाम रही है. इसके लिए उन्होंने माफी भी मांगी थी. उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों जिलों में अवैध खनन में पुलिसकर्मी से लेकर पुलिस महानिरीक्षक तक संलिप्त हैं. उन्होंने कहा था, 'यहां पुलिस वाले अपना काम छोड़कर रेत की खदान चलाने में लगे हैं. थाना प्रभारी 50 से 60 लाख रुपये तक वसूल रहे हैं.'
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मंत्री के इस बयान के बाद उनके गृह जनपद भिंड के ही दो कांग्रेस विधायक ओ.पी.एस. भदौरिया और रणवीर जाटव सामने आ गए हैं. दोनों विधायकों ने बुधवार को कहा, 'पार्टी के वरिष्ठ नेता को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए. इससे सरकार की छवि प्रभावित होती है. अगर वास्तव में खनन हो रहा है तो मंत्री होने के नाते उनकी जिम्मेदारी है कि वह इससे मुख्यमंत्री कमलनाथ को अवगत कराते और कैबिनेट में इस मसले पर चर्चा करते. सार्वजनिक तौर पर इस तरह का बयान देकर उन्होंने पार्टी का नुकसान किया है.'
विधायकों के बयान पर मंत्री डॉ. सिंह ने कहा, 'अब वे (विधायक) सिखाएंगे कि मुझे क्या कहना चाहिए और किससे कहना चाहिए. जहां तक अवैध खनन की बात है, इसके लिए खुली चुनौती देता हूं कि जीवन में ऐसा कोई काम नहीं किया है, जिसके कारण जनता या किसी और के सामने आंख नीची करनी पड़े. रेत खनन की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए.'
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कांग्रेस के दोनों विधायकों भदौरिया और जाटव का दावा है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद रेत के अवैध खनन के कारोबार पर रोक लगी है. उन्होंने कहा है कि भिंड और दतिया में अवैध खनन की जो बात सामने आ रही है, उसकी जांच के लिए विधायकों की समिति बनाई जानी चाहिए.
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