मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अब अपनी सरकार बचाने की कवायद में जुट गई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरफ से पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया जाना, विशुद्ध रूप से चुनाव के पहले सरकार के खिलाफ बन रहे माहौल को खत्म करने की रणनीति है।
मध्य प्रदेश की राजनीति में नर्मदा पट्टी की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में कोई भी सरकार इसकी मदद के बिना नहीं बन सकती।
शिवराज सिंह चौहान ने जिन बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है उनमें बाबा नर्मदानंद, बाबा हरिहरा नंद, कंप्यूटर बाबा, योगेंद्र महंत और ग्रहस्थ संत भय्यू महाराज शामिल हैं। यह सभी बाबा और संत प्रदेश के नर्मदा पट्टी पर विशेष पकड़ रखते हैं।
बता दें कि प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं जिसमें नर्मदा पट्टी पर करीब 120 सीटें हैं। इन बाबाओं को ऐसे समय में राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है, जब यह सरकार के खिलाफ नर्मदा यात्रा पर जाने का ऐलान कर चुके थे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पिछले कई महीनों से नर्मदा यात्रा पर है।
ऐसे में शिवराज सिंह चौहान का पांच बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा दिया जाना, कुछ औऱ नहीं बल्कि चुनावी प्रबंधन है।
दरअसल राज्यमंत्री के दर्जे से नवाजे गए बाबाओं को साधने के लिए सरकार ने नर्मदा किनारे पर वृक्षारोपण, स्वच्छता और जल संरक्षण आदि मुद्दों पर एक जागरूकता समिति गठित की है। इस समिति के अध्यक्ष खुद शिवराज सिंह चौहान हैं। उनके अलावा इस टीम में कुछ सरकारी अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं।
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दिग्विजय की काट है बाबा ग्रुप
गौरतलब है कि प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपनी नर्मदा यात्रा पूरी करके 9 अप्रैल को वापसी कर रहे हैं। इस दौरान यह माना जा रहा है कि वह वापस लौटते ही शिवराज सरकार को अवैध उत्खनन को लेकर घेर सकते हैं।
इतना ही नहीं प्रदेश सरकार ने जो नर्मदा के आसपास 6 करोड़ पेड़ लगाने के वादे किए थे वह भी अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। यह सभी मुद्दे दिग्विजय सिंह उठा सकते हैं। इसलिए शिवराज ने बाबाओं को अपनी ढाल बनाया है।
कंप्यूटर बाबा के आंदोलन से डरे शिवराज
मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध बाबा और संतों में से एक कंप्यूटर बाबा इस ग्रुप में शामिल किए हैं। बता दें कि सरकार के इस फैसले के पहले कंप्यूटर बाबा प्रदेश सरकार को घेरने की तैयारी में लगे हुए थे। उन्होंने नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने का ऐलान भी कर दिया था। इसके लिए पर्चे छप गए थे।
हालांकि राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद बाबा के सुर बदल गए हैं।
जानकारी के अनुसार नर्मदा घोटाला रथ यात्रा नर्मदा में हो रहे अवैध उत्खनन, पर्यावरण संरक्षण और गोसंरक्षण जैसे मुद्दों पर होने जा रही थी। जो कि प्रदेश के 45 जिलों में जाकर सरकार के खिलाफ प्रचार करने वाले थे। यह यात्रा 1 अप्रैल से शुरू होने वाली थी।
बाबा की मंशा यूं हुई पूरी
तेज तर्रार स्वाभाव की पहचान रखने वाले कंप्यूटर बाबा पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी से इंदौर से चुनाव लड़ना चाहते थे।
यह इच्छा उन्होंने उस दौरान जाहिर की थी। लेकिन उन्हें यह मौका नहीं दिया गया, इसके बाद 2017 में बीजेपी अध्यक्ष के भोज में साधु-संतों में कंप्यूटर बाबा को नहीं बुलाया गया था जिसके बाद उन्होंने सरकार के खिलाफ बागी तेवर अपनाए थे।
इसलिए अंदेशा यह भी लगाया जा रहा है कि इसी बहाने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा देकर साधु-संतों की जमात को खुश करने की कोशिश की गई है।
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Source : Narendra Hazari