केंद्रीय कपड़ा मंत्री और बिहार बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने मुजफ्फरपुर में एक कार्यक्रम के दौरान एक विवादास्पद बयान दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें खेद है कि वह हिंदू नहीं बन सके और यही कारण है कि वह चुनाव विशेष जातियों के बहुल इलाकों से लड़ते हैं. गिरिराज सिंह ने यह भी खुलासा किया कि उनकी इच्छा थी कि वह किशनगंज से चुनाव लड़ें, जो कि बिहार का एक मुस्लिम बहुल जिला है, जहां हिंदू आबादी मात्र 32 प्रतिशत है.
किशनगंज से लड़ना चाहेंगे चुनाव
गिरिराज ने बताया कि 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने उनसे पूछा कि वह किस क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहेंगे, तो उन्होंने किशनगंज का नाम लिया. लेकिन पार्टी ने उन्हें वह सीट नहीं दी. उन्होंने यह भी कहा, "भले ही मेरी जमानत जब्त हो जाए, लेकिन मैं हिंदू बनकर चुनाव लड़ना चाहता हूं." गिरिराज सिंह को 2014 में नवादा और 2019 एवं 2024 में बेगूसराय से उम्मीदवार बनाया गया था.
ममता बनर्जी पर भी हमला बोला
इस दौरान गिरिराज सिंह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने पहले लोगों को वोट डालने से रोका और अब हिंदू त्योहारों पर नियम लगाकर बंगाल को बांग्लादेश और पाकिस्तान में तब्दील करने की कोशिश कर रही हैं. उनका यह भी कहना था कि जनता ममता से एक-एक पाई का हिसाब लेगी.
किशनगंज लोकसभा सीट पर निशाना
किशनगंज में मुस्लिम आबादी की बात करें, तो 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां 67.98 प्रतिशत मुस्लिम हैं. इस जिले की राजनीति में मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. किशनगंज लोकसभा सीट पर अधिकतर पार्टियां मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव में उतारती हैं. यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस और आरजेडी के लिए अनुकूल रहा है, जबकि भाजपा ने 1999 में यहां केवल एक बार जीत हासिल की थी.
धर्म का राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका
गिरिराज सिंह का बयान एक बार फिर यह दर्शाता है कि किस प्रकार जाति और धर्म राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उनकी इच्छा कि वह किशनगंज से चुनाव लड़ें, यह बताती है कि किस तरह समाज के विभिन्न वर्गों के मतदाता चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं.
राजनीतिक माहौल में उथल-पुथल मची
इस विवादास्पद बयान के बाद राजनीतिक माहौल में उथल-पुथल मच गई है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस प्रकार के बयानों का आगामी चुनावों में क्या प्रभाव पड़ता है. गिरिराज सिंह के बयान ने न केवल भाजपा के रणनीति को प्रभावित किया है, बल्कि पूरे राज्य की राजनीतिक तस्वीर को भी बदलने की क्षमता रखता है.