शास्त्री लाये थे एमएसपी, NDA सरकार इसे कमजोर कर रही: दिग्विजय सिंह

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने किसानों के लिये ‘न्यूतनम समर्थन मूल्य’ (एमएसपी) पेश किया था, लेकिन केंद्र की राजग (एनडीए) सरकार विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के दबाव में आकर इसे

author-image
Vineeta Mandal
New Update
digvijay singh

Digvijay Singh( Photo Credit : (फाइल फोटो))

Advertisment

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने किसानों के लिये ‘न्यूतनम समर्थन मूल्य’ (एमएसपी) पेश किया था, लेकिन केंद्र की राजग (एनडीए) सरकार विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के दबाव में आकर इसे कमजोर कर रही है. हाल ही में संसद में पारित कृषि और श्रम विधेयकों के खिलाफ विपक्षी कांग्रेस के राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन के तहत यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने केंद्र पर ये आरोप लगाये.

और पढ़ें: देशभर में हो रहे प्रदर्शन के बीच PM मोदी ने कहा,'किसानों को भ्रमित किया जा रहा हैं'

सिंह ने कहा कि वह लाल बहादुर शास्त्री थे जिन्होंने कृषकों के लिये न्याय सुनिश्चित करने के वास्ते किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए एमएसपी की व्यवस्था पेश की थी. उन्होंने एमएसपी तय करने के लिये लागत एवं मूल्य आयोग का गठन किया था. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन मौजूदा बीजेपी सरकार अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर इसे कमजोर करने की कोशिश कर रही है. ’’

उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ के दबाव में आकर कृषि विधेयकों के जरिये बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत के कृषि बाजार में प्रवेश करने की अनुमति देने की कोशिश की जा रही है. सिंह ने कहा कि (विधेयकों के जरिये) इन कंपनियों को देशभर में किसानों की उपज खरीदने के लिये अपनी मंडी खोलने की अनुमति दी जाएगी. कांग्रेस नेता ने कहा कि किसानों का शोषण होगा क्योंकि उपज की खरीद में शामिल कंपिनयों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहेगा.

उन्होंने केंद्र की बीजेपी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (सरकार) को ‘‘किसान-विरोधी’’ बताया. उन्होंने दावा किया कि विधेयकों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि शोषित किसान अदालत का दरवाजा खटखटा सके. किसानों को पहले सब-कलेक्टर (उप जिलाधिकारी) के पास शिकायत दर्ज करानी होगी और उसके बाद जिलाधिकारी के पास शिकायत देनी होगी. यदि किसानों को जिलाधिकारी से भी न्याय नहीं मिला तो उसे केंद्र सरकार के पास गुहार लगाने जाना होगा.

सिंह ने कहा, ‘‘कृषि राज्य सूची का विषय है लेकिन नये विधेयकों में ऐसे प्रावधान हैं जहां केंद्र हस्तक्षेप करेगा. एपीएमसी (कृषि उत्पाद विपणन समिति) को केंद्र सरकार द्वारा विनियमित किया जाएगा. ’’ आवश्यक वस्तुओं के मुद्दे का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि नये विधान के मुताबिक राज्य उन व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकेंगे, जो वस्तुओं की जमाखोरी करेंगे क्योंकि भंडार की कोई ऊपरी सीमा नहीं रखी गई है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि अप्रत्यक्ष रूप से नया विधान ‘‘कालाबाजारी को बढ़ावा’’ देगा और ‘‘जमाखोरों की मदद’’ करेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि खेतीहरों और श्रमिकों को उनके अधिकारों से वंचित करने की ‘सुनियोजित कोशिश’ की जा रही है. नये कृषि विधेयकों के प्रावधान के तहत बड़ी कंपनियां किसानों से अनाज खरीद सकेंगी.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘वहीं दूसरी ओर, हम (कांग्रेस) पर एमएसपी के बारे में किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया जा रहा है. बीजेपी सरकार किसानों से कम कीमत पर अनाज खरीदने वालों के लिये सजा का प्रावधान करे. वह (बीजेपी) ऐसा नहीं कर रही है, लेकिन कांग्रेस के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगा रही. ’’ सिंह ने कहा कि 1993 में तत्कालीन वाणिज्य मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सीमांत किसानों और कारोबारियों के हित में अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकने से सरासर इनकार कर दिया था.

ये भी पढ़ें: किसान और खेत खलिहान के खिलाफ घिनौना षड्यंत्र हैं कृषि विधेयक: कांग्रेस

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने डब्ल्यूटीओ के मार्फत आने वाले अंतराष्ट्रीय दबाव का प्रतिरोध किया था. उन्होंने कहा, ‘‘हमने यह प्रावधान किया था कि ग्रामीण भारत में किसानों को उनकी भूमि का चार गुना मूल्य मिले, जबकि शहरी इलाकों के लिये मूल्य दोगुना रखा गया था. पांच साल तक उपयोग में नहीं लाये जाने पर जमीन उसके मालिक को लौटाने का भी प्रावधान किया गया था. लेकिन मोदी सरकार सत्ता में आते ही इसे रद्द करने के लिये एक अध्यादेश ले आई. अन्य सभी दलों ने इसका विरोध किया. ’’

उन्होंने यह भी कहा कि श्रम सुधार विधेयक 300 श्रमिकों से अधिक संख्या वाली कंपनियों को सरकार की अनुमति के बगैर उन्हें निकालने की अनुमति देंगी. जबकि पहले यह सीमा 100 श्रमिकों की थी. उन्होंने लोकसभा में कृषि विधेयकों का समर्थन करने और बाद में राज्यसभा में उसका विरोध करने को लेकर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि बीजद और बीजेपी के बीच एक गुप्त तालमेल है.

BJP NDA madhya-pradesh किसान farmers मध्य प्रदेश केंद्र सरकार Digvijaya Singh एनडीए लाल बहादुर शास्त्री Lal Bahadur Shastri दिग्विजय सिंह
Advertisment
Advertisment
Advertisment