'लव जिहाद' के खिलाफ बनाए जा रहे कानून को लेकर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने रविवार को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने ककाह कि आरोपी की संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान जोड़ने पर सरकार विचार कर रही है. इससे पहले एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि ऐसा प्रयास करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी.
एमपी के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भोपाल में पत्रकारों से बात करते हुए कहा राज्य में लव जिहाद के खिलाफ बनाया जा रहे कानून को और सख्त बनाने पर विचार किया जा रहा है. लव जिहाद कानून जल्द ही कैबिनेट में आएगा और उसके बाद 28 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में इसे पेश किया जाएगा.
उन्होंने आगे कहा कि हमारा कानून दूसरे राज्यों से एकदम अलग होगा, अच्छा होगा और सख्त होगा. इस मामले में दस साल की सजा के बारे में आपको पता ही है. साथ ही संपत्ति कुर्की और पीड़िता को गुजरा भत्ता जैसे विषयों पर भी सरकार विचार कर रही है.
मप्र: मुख्यमंत्री ने 'लव जिहाद' को रोकने के लिए प्रस्तावित अधिनियम पर चर्चा की
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में कोई भी व्यक्ति अब किसी को बहला-फुसलाकर, डरा-धमका कर विवाह के माध्यम से अथवा अन्य किसी कपटपूर्ण तरीके से प्रत्यक्ष अथवा अन्यथा धर्म परिवर्तन नहीं करा पाएगा. ऐसा प्रयास करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. मध्यप्रदेश सरकार कथित 'लव जिहाद' रोकने के संबंध में ''म.प्र. धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2020'' लाने वाली है.
जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि मुख्यमंत्री चौहान ने शनिवार को मंत्रालय में उच्च स्तरीय अधिकारियों की बैठक में ''धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2020'' के प्रारूप पर चर्चा की. बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव विधि आदि उपस्थित थे. मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश में कोई भी व्यक्ति अब किसी को बहला-फुसलाकर, डरा-धमका कर विवाह के माध्यम से अथवा अन्य किसी कपटपूर्ण तरीके से प्रत्यक्ष अथवा अन्यथा धर्म परिवर्तन नहीं करा पाएगा.
प्रदेश सरकार इस संबंध में कानून लाने जा रही है। प्रस्तावित अधिनियम के अंतर्गत किसी व्यक्ति द्वारा धर्म परिवर्तन कराने संबंधी प्रयास किए जाने पर प्रभावित व्यक्ति स्वयं, उसके माता-पिता अथवा रिश्तेदार इसके विरुद्ध शिकायत कर सकेंगे. यह अपराध संज्ञेय, गैर जमानती तथा सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होगा. उप पुलिस निरीक्षक से कम श्रेणी का पुलिस अधिकारी इसका अन्वेषण नहीं कर सकेगा. धर्मान्तरण नहीं किया गया है यह साबित करने की जिम्मेदारी अभियुक्त की होगी.
प्रस्तावित अधिनियम में जो विवाह धर्म परिवर्तन की नियत से किया गया होगा वह अकृत एवं शून्य होगा. इस प्रयोजन के लिए कुटुम्ब न्यायालय अथवा कुटुम्ब न्यायालय की अधिकारिता में आवेदन करना होगा. किसी भी व्यक्ति द्वारा अधिनियम की धारा-3 का उल्लंघन करने पर एक वर्ष से पांच वर्ष का कारावास व कम से कम 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगेगा. नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के प्रकरण में दो से 10 वर्ष के कारावास तथा कम से कम 50 हजार रुपये का जुर्माना प्रस्तावित किया गया है.
इसी प्रकार अपना धर्म छुपाकर ऐसा प्रयास करने पर तीन वर्ष से 10 वर्ष का कारावास एवं कम से कम 50 हजार रुपये अर्थदण्ड होगा. सामूहिक धर्म परिवर्तन (दो या अधिक व्यक्ति का) का प्रयास करने पर पांच से 10 वर्ष के कारावास एवं कम से कम एक लाख रुपये के अर्थदण्ड का प्रावधान किया जा रहा है. प्रस्तावित अधिनियम की धारा-3 के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति दूसरे को दिगभ्रमित कर, प्रलोभन, धमकी, बल, दुष्प्रभाव, विवाह के नाम पर अथवा अन्य कपटपूर्ण तरीके से प्रत्यक्ष अथवा अन्यथा उसका धर्म परिवर्तन अथवा धर्म परिवर्तन का प्रयास नहीं कर सकेगा.
प्रस्तावित अधिनियम के अनुसार, स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन के मामले में धर्म परिवर्तन करने रखने वाले व्यक्ति को एक महीने पहले उस जिले के जिलाधिकारी को पूर्व घोषणा पत्र देना आवश्यक होगा. मालूम हो कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी है. उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने 24 नवंबर को मसौदा अध्यादेश को मंजूरी दी थी, जिसके तहत विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन को को गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध बना दिया गया है तथा इसमें 10 साल तक की कैद का और विभिन्न श्रेणियों के जहत अधिकतम 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है.
Source : News Nation Bureau