मध्य प्रदेश चुनाव: बुंदेलखंड में बढ़ा मतदान प्रतिशत, बिगाड़ सकता है राजनैतिक गणित

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में बड़ी संख्या में पलायन के बावजूद इस बार के चुनाव में पिछले चुनाव से कहीं ज्यादा हुए मतदान ने राजनीतिक दलों और राजनीतिक पंडितों के माथे पर बल ला दिए हैं.

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
मध्य प्रदेश चुनाव: बुंदेलखंड में बढ़ा मतदान प्रतिशत, बिगाड़ सकता है राजनैतिक गणित
Advertisment

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में बड़ी संख्या में पलायन के बावजूद इस बार के चुनाव में पिछले चुनाव से कहीं ज्यादा हुए मतदान ने राजनीतिक दलों और राजनीतिक पंडितों के माथे पर बल ला दिए हैं. बुंदेलखंड के लगभग हर विधानसभा क्षेत्र में पिछले चुनाव से दो से तीन प्रतिशत अधिक वोट पड़े हैं. बुंदेलखंड में सूखा, बेरोजगारी और पलायन बड़ी समस्याएं रही हैं। जब बुवाई और कटाई का समय आता है तो बड़ी संख्या में पलायन कर गए परिवार वापस अपने घरों को लौट आते हैं.

राज्य का विधानसभा चुनाव ऐसे समय हुआ जब बुवाई का काम लगभग पूरा हो चुका था और खाली बैठे परिवार मजदूरी की तलाश में गांव छोड़ गए. कई गांव में घरों पर ताले लटके थे. इसके बावजूद लोगों में मतदान को लेकर खासा उत्साह रहा.

राज्य में पिछले चुनाव के मुकाबले लगभग ढाई प्रतिशत मतदान ज्यादा हुआ है. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में 72़13 प्रतिशत मतदान हुआ था मगर इस विधानसभा चुनाव में मतदान 74़ 85 प्रतिशत रहा है. इसी तरह बुंदेलखंड के छह जिलों छतरपुर, दमोह, टीकमगढ़, पन्ना, सागर और दतिया में राज्य के मुकाबले औसत में तो कम मतदान हुआ है मगर क्षेत्र में वर्ष 2013 में हुए मतदान से ज्यादा हुआ है.

बुंदेलखंड के राजनीतिक विश्लेषक जगदीश तिवारी का कहना है, 'बुंदेलखंड के लोग समस्याओं से लगातार जूझ रहे हैं। पलायन है, मगर मतदान का प्रतिशत बढ़ा है तो यह साफ संकेत देता है कि लोगों में अपने अधिकार के प्रति जागृति आई है. इतना ही नहीं यह राजनीतिक दलों के लिए संकेत भी हैं कि यहां के लोग अपने अधिकार से नए फैसलों के लिए भी तैयार हैं. राजनीतिक दल अपनी-अपनी सुविधा से मतदान प्रतिशत बढ़ने का तर्क गढ़ सकते हैं मगर यह सत्ताधारी दल के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता.'

सामाजिक कार्यकर्ता और 'जल-जन जोड़ो' के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह का कहना है, 'बुंदेलखंड में समस्याएं अनेक हैं. पानी के संकट ने यहां के जीवन को और कठिन बनाने का काम किया है. इस इलाके में लोगों में व्यवस्थाओं के प्रति नाराजगी है, बुंदेलखंड पैकेज आया मगर हालात नहीं बदले.  जलसंरचनाएं गुम हो रही हैं। सरकारों के वादे अब लोगों को चुभने लगे हैं. लिहाजा यहां के लोग गुस्से में हैं। यही कारण है कि मतदान का प्रतिशत भी बढ़ा है. इस इलाके के नतीजे चौंकाने वाले होंगे, जो लोग यहां है, उनके मन मे अपनों के पलायन का दर्द है, साथ में बुजुर्गो में भी अपनी समस्याओं को लेकर नाराजगी है.'

और पढ़ें: करोड़ों खर्च किए जाने के बाद भी क्यों नहीं बदली बुंदेलखंड की हालात, 200 अफसर का सच आया सामने

बुंदेलखंड में 29 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें से 23 पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवारों ने पिछले चुनाव में जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेस सिर्फ छह स्थानों पर जीती थी. मतदान का प्रतिशत 65 से 73 प्रतिशत के बीच था, मगर इस बार मतदान का प्रतिशत 67 से 75 के बीच है। इस तरह मतदान में लगभग दो प्रतिशत का इजाफा हुआ है. यह प्रदेश में हुए मतदान के औसत से कम है. विधानसभा वार देखें तो सागर जिले की खुरई विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 81 प्रतिशत मतदान हुआ है, वहीं सबसे कम 64़ 52 प्रतिशत सागर विधानसभा क्षेत्र में हुआ है.

राज्य में हुए मतदान के प्रतिशत में इजाफे के साथ पलायन ग्रस्त बुंदेलखंड में मतदान का प्रतिशत बढ़ना राजनीतिक समीकरणों को गड़बड़ाने वाला हो सकता है.

Source : IANS

BJP congress madhya-pradesh-assembly-election madhya-pradesh Shivraj Singh Chouhan Political Parties Bundelkhand Assembly election 2018
Advertisment
Advertisment
Advertisment