वैसे तो सड़कें लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने का काम करती हैं मगर यही सड़क बच्चों के लिए स्लेट का भी काम कर सकती है. यह सुनने में कुछ अचरज में डालने वाला लग सकता है, परंतु यह सच है. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में सड़क बच्चों की स्लेट बन गई है और इस पर नियमित तौर पर गिनती, पहाड़े लिखे जा रहे हैं.
कोरोना संक्रमण ने सबसे ज्यादा असर बच्चों की जिंदगी पर डाला है. विद्यालय बंद हैं और बच्चों के लिए मोहल्ला कक्षाएं चल रही हैं. खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. बैतूल जिले की सिमोरी ग्राम पंचायत में अनोखा प्रयोग हुआ है. यहां की सड़क इन दिनों बच्चों की स्लेट बनी हुई है. यहां बच्चे शाम के समय खेल खेल में सड़क को स्लेट की तरह प्रयोग कर रहे हैं.
सड़क के एक तरफ जहां पहाड़े, अंग्रेजी में महीनों व दिनों के नाम, संज्ञा, प्रमुख दिवस, संस्कृत में गिनती, संस्कृत में खाद्यान्न पदार्थो के नाम, पुष्पों के नाम, फलों, सब्जियों के नाम, अक्षांश व देशांतर के बारे में बच्चे खेल खेल में लिख रहे हैं.
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इस तहर कोविड काल में जहां बच्चे घरों में रहकर व मोहल्ला कक्षाओं में जो सीख रहे हैं उसे खेल खेल में सड़क पर लिख भी रहे हैं. जिससे लिखने के कौशल का विकसित तो हो ही रहा है, साथ ही इस सड़क से जब भी कोई बच्चा गुजरेगा तो यह सड़क शिक्षक के रूप में भी कार्य करेगी. यह नवाचार बच्चों को भा रहा है जिसमे प्रकृति की गोद में बच्चे बिना किसी भय के अपने ज्ञान को लिख कर व्यक्त कर रहे हैं.
शाला के प्रधान पाठक शैलेन्द्र बिहारिया ने बताया कि बच्चे इस सड़क पर खूब चक्के व साइकिल चलाते थे, व सड़क पर ही फुरसत के समय बिताते थे, तो ऐसे में इन बच्चों को सड़क से जोड़कर शिक्षण की योजना ने जन्म लिया. संस्था की राधिका पटैया, ममता गोहर ने बताया कि इन बच्चों को लिखने के लिए रंगीन व सफेद चॉक नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है. यह नवाचार क्षेत्र में चर्चा का विषय है.
Source : IANS